अव्यो॒ वारे॒ परि॑ प्रि॒यो हरि॒र्वने॑षु सीदति । रे॒भो व॑नुष्यते म॒ती ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
avyo vāre pari priyo harir vaneṣu sīdati | rebho vanuṣyate matī ||
पद पाठ
अव्यः॑ । वारे॑ । परि॑ । प्रि॒यः । हरिः॑ । वने॑षु । सी॒द॒ति॒ । रे॒भः । व॒नु॒ष्य॒ते॒ । म॒ती ॥ ९.७.६
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:7» मन्त्र:6
| अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:29» मन्त्र:1
| मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:6
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - वह परमात्मा (अव्यः वारे) “अव्यते प्रकाशते इति अविर्भ्वादिलोकः” प्रकाशवाले लोकों में (परि सीदति) रहता है (प्रियः) सर्वप्रिय है (हरिः) सबके दुखों को हरण करनेवाला है (वनेषु) उपासनादि भक्तियों में उसी की उपासना से (मती वनुष्यते) बुद्धि निर्मल होती है (रेभः) वेदादि शब्दों का प्रकाशक है ॥६॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा सब लोक-लोकान्तरों में व्यापक है और भक्तों की बुद्धि में विराजमान है अर्थात् जिसकी बुद्धि उपासनादि सत्कर्मों से निर्मल हो जाती है, उसी की बुद्धि में परमात्मा का आभास पड़ता है ॥६॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - स परमेश्वरः (अव्यः वारे) प्रकाशमानभ्वादिलोकेषु (परि सीदति) सन्तिष्ठते (प्रियः) सर्वहितकरोऽस्ति (हरिः) अखिलजनस्य दुःखं हरति (वनेषु) उपासनादिभक्तिषु तस्यैवोपासनया (मती वनुष्यते) बुद्धिः शुद्ध्यति (रेभः) वेदादिशब्दप्रकाशकोऽस्ति ॥६॥