उप॑ प्रि॒यं पनि॑प्नतं॒ युवा॑नमाहुती॒वृध॑म् । अग॑न्म॒ बिभ्र॑तो॒ नम॑: ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
upa priyam panipnataṁ yuvānam āhutīvṛdham | aganma bibhrato namaḥ ||
पद पाठ
उप॑ । प्रि॒यम् । पनि॑प्नतम् । युवा॑नम् । आ॒हु॒ति॒ऽवृध॑म् । अग॑न्म । बिभ्र॑तः । नमः॑ ॥ ९.६७.२९
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:67» मन्त्र:29
| अष्टक:7» अध्याय:2» वर्ग:18» मन्त्र:4
| मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:29
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (प्रियं) सबको प्रसन्न करनेवाले (पनिप्नतं) वेदादि शब्दराशि के आविर्भावक (युवानं) सदा एकरस (आहुतीवृधं) जो अपनी प्रकृतिरूपी आहुति से बृहत् है, उक्त गुणसम्पन्न परमात्मा को (नमः) नम्रतादि भावों को (बिभ्रतः) धारण करते हुए हम लोग (उपागन्म) प्राप्त हों ॥२९॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में परमात्मा नम्रतादि भावों का उपदेश करता है कि हे मनुष्यों ! नम्रतादि भावों को धारण करते हुए उक्त प्रकार की प्रार्थनाओं से मुझको प्राप्त हो ॥२९॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (प्रियम्) सर्वानन्ददायकं (पनिप्नतम्) वेदादिशब्द- राश्याविर्भावकं (युवानम्) सदैकरसं (आहुतीवृधम्) प्रकृत्या महान्तं परमात्मानं (नमः) नम्रतादिभावान् (बिभ्रतः) धारयन्तो वयं (उपागन्म) प्राप्नुम ॥२९॥