अ॒भि वे॒ना अ॑नूष॒तेय॑क्षन्ति॒ प्रचे॑तसः । मज्ज॒न्त्यवि॑चेतसः ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
abhi venā anūṣateyakṣanti pracetasaḥ | majjanty avicetasaḥ ||
पद पाठ
अ॒भि । वे॒नाः । अ॒नू॒ष॒त॒ । इय॑क्षन्ति । प्रऽचे॑तसः । मज्ज॑न्ति । अवि॑ऽचेतसः ॥ ९.६४.२१
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:64» मन्त्र:21
| अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:40» मन्त्र:1
| मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:21
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (प्रचेतसो वेनाः) प्रकृष्ट ज्ञानवाले विज्ञानी लोग (अभ्यनूषत) परमात्मा की उपासना करते हैं और (इयक्षन्ति) उपासनात्मक यज्ञ से परमात्मा का यजन करते हैं। (अविचेतसः) अज्ञानी लोग (मज्जन्ति) डूबते हैं ॥२१॥
भावार्थभाषाः - जो लोग शुद्ध मनवाले हैं, वे परमात्मा के तत्त्वज्ञान से मुक्ति के भागी होते हैं और अज्ञानी लोग बार-बार जन्म लेते हैं और मरते हैं, परन्तु फिर भी परमात्मा के तत्त्व को नहीं पाते। इसीलिये उनका यहाँ डूबना दिखलाया है ॥२१॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (प्रचेतसो वेनाः) अत्युत्कृष्टज्ञानवन्तो विज्ञानिनो जनाः (अभ्यनूषत) जगदीश्वरस्योपासनां कुर्वन्ति। अथ च (इयक्षन्ति) उपासनात्मकयज्ञेन परमात्मयजनं कुर्वन्ति। तथा (अविचेतसः) अज्ञानिनः (मज्जन्ति) निमग्ना भवन्ति ॥२१॥