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अ॒भि सोमा॑स आ॒यव॒: पव॑न्ते॒ मद्यं॒ मद॑म् । अ॒भि कोशं॑ मधु॒श्चुत॑म् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

abhi somāsa āyavaḥ pavante madyam madam | abhi kośam madhuścutam ||

पद पाठ

अ॒भि । सोमा॑सः । आ॒यवः॑ । पव॑न्ते । मद्य॑म् । मद॑म् । अ॒भि । कोश॑म् । म॒धु॒ऽश्चुत॑म् ॥ ९.२३.४

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:23» मन्त्र:4 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:13» मन्त्र:4 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:4


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोमासः) ये कार्य्यब्रह्माण्ड जो (आयवः) गतिशील हैं, (मद्यम् मदम्) अनन्त प्रकार के आह्लादकारक और मदकारक वस्तुओं को (अभि) सब ओर से उत्पन्न करते हैं और (मधुश्चुतम्) नानाप्रकार के रसों को देनेवाले (कोशम्) खजाने को (अभि) सब ओर से उत्पन्न करते हैं ॥४॥
भावार्थभाषाः - सब विभूतियों की खानरूप ब्रह्माण्डों का वर्णन किया है। तात्पर्य यह है कि इस संसार में नानाप्रकार की वस्तुएँ जिन ब्रह्माण्डों में उत्पन्न होती हैं, उनको सोम नाम से कथन किया गया है ॥४॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोमासः) इमानि कार्यरूपब्रह्माण्डानि (आयवः) गन्तॄणि सन्ति (मद्यम् मदम्) अनेकविधानि आह्लादकानि मादकानि वस्तूनि (अभि) सर्वत्रोत्पादयन्ति (मधुश्चुतम्) विविधरसजनकम् (कोशम्) आकरम् (अभि) अभित उत्पादयन्ति च ॥४॥