ए॒ते सोमा॑स आ॒शवो॒ रथा॑ इव॒ प्र वा॒जिन॑: । सर्गा॑: सृ॒ष्टा अ॑हेषत ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
ete somāsa āśavo rathā iva pra vājinaḥ | sargāḥ sṛṣṭā aheṣata ||
पद पाठ
ए॒ते । सोमा॑सः । आ॒शवः॑ । रथाः॑ऽइव । प्र । वा॒जिनः॑ । सर्गाः॑ । सृ॒ष्टाः । अ॒हे॒ष॒त॒ ॥ ९.२२.१
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:22» मन्त्र:1
| अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:12» मन्त्र:1
| मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:1
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आर्यमुनि
अब परमात्मा की सृष्टिरचना का वर्णन करते हैं।
पदार्थान्वयभाषाः - (एते सोमासः) यह परमात्मा (रथाः इव) विद्युत् के समान (आशवः) शीघ्रगामी है और (प्रवाजिनः) अत्यन्त बलवाला है (सर्गाः सृष्टाः अहेषत) उसने सृष्टियों को श्ब्दायमान रचा है ॥१॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा में अनन्त शक्तियें पायी जाती हैं। उसकी शक्तियें विद्युत् के समान क्रियाप्रधान है। उसने कोटानुकोटि ब्रह्माण्डों को रचा है, जो शब्द स्पर्श रूप रस गन्ध इन पाँच तन्मात्रों के कार्य हैं और इनकी ऐसी अचिन्त्य रचना है, जिसका अनुशीलन मनुष्य मन से भी भली-भाँति नहीं कर सकता ॥१॥
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आर्यमुनि
अथ परमात्मनो जगतः कर्तृत्वं वर्ण्यते।
पदार्थान्वयभाषाः - (एते सोमासः) अयं परमात्मा (रथाः इव) विद्युदिव (आशवः) शीघ्रगाम्यस्ति (प्रवाजिनः) अत्यन्तबलाश्रयश्च (सर्गाः सृष्टाः अहेषत) स एव सृष्टिं शब्दायमानामुदपादयत् ॥१॥