तं त्वा॒ मदा॑य॒ घृष्व॑य उ लोककृ॒त्नुमी॑महे । तव॒ प्रश॑स्तयो म॒हीः ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
taṁ tvā madāya ghṛṣvaya u lokakṛtnum īmahe | tava praśastayo mahīḥ ||
पद पाठ
तम् । त्वा॒ । मदा॑य । घृष्व॑ये । ऊँ॒ इति॑ । लो॒क॒ऽकृ॒त्नुम् । ई॒म॒हे॒ । तव॑ । प्रऽश॑स्तयः । म॒हीः ॥ ९.२.८
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:2» मन्त्र:8
| अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:19» मन्त्र:3
| मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:8
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - हे परमेश्वर ! (तम्) उस (त्वा) तुझको (ईमहे) हम प्राप्त हों, जो तू (लोककृत्नुम्) सम्पूर्ण संसार का रचनेवाला है। (मदाय) आनन्द की प्राप्ति (उ) और (घृष्वये) दुःखों की निवृत्ति के लिये प्राप्त हो, (तव) तुम्हारी (प्रशस्तयः) स्तुतियें (महीः) पृथिवी भर में पाई जाती हैं ॥८॥
भावार्थभाषाः - हे परमात्मन् ! आपका स्तवन प्रत्येक वस्तु कर रही है और आप सम्पूर्ण संसार के उत्पति-स्थिति-संहार करनेवाले हैं। आपकी प्राप्ति से सम्पूर्ण अज्ञानों की निवृत्ति होती है, इसलिये हम आपको प्राप्त होते हैं ॥८॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - हे परमेश्वर ! (तम्) प्रसिद्धम् (त्वा) भवन्तम् (ईमहे) वयं प्राप्नुयाम यो भवान् (लोककृत्नुम्) सम्पूर्णसंसारस्य रचयितास्ति स त्वम् (मदाय) आनन्दाय (उ) किञ्च (घृष्वये) दुःखनिवृत्त्यै प्राप्तो भव (तव) भवतः (प्रशस्तयः) स्तुतयः (महीः) पृथिवीमात्रे लभ्यन्ते ॥८॥