वांछित मन्त्र चुनें

ए॒ष शृङ्गा॑णि॒ दोधु॑व॒च्छिशी॑ते यू॒थ्यो॒३॒॑ वृषा॑ । नृ॒म्णा दधा॑न॒ ओज॑सा ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

eṣa śṛṅgāṇi dodhuvac chiśīte yūthyo vṛṣā | nṛmṇā dadhāna ojasā ||

पद पाठ

ए॒षः । शृङ्गा॑णि । दोधु॑वत् । शिशी॑ते । यू॒थ्यः॑ । वृषा॑ । नृ॒म्णा । दधा॑नः । ओज॑सा ॥ ९.१५.४

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:15» मन्त्र:4 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:5» मन्त्र:4 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:4


बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (एषः) उक्त परमात्मा (शृङ्गाणि) सब ब्रह्माण्डों को (दोधुवत्) गतिशील करता है (शिशीते) सर्वव्यापक है (यूथ्यः) सबका पति है (वृषा) कामनाओं की वृष्टि करनेवाला है (ओजसा) अपने पराक्रम से (नृम्णा) सब ऐश्वर्यों को (दधानः) धारण कर रहा है ॥४॥
भावार्थभाषाः - वही परमात्मा कोटानुकोटि ब्रह्माण्डों का चलानेवाला है और उसी ने इन ब्रह्माण्डों में विद्युत् आदि शक्तियों को उत्पन्न करके अनेक प्रकार के आकर्षण विकर्षण आदि गुणों को उत्पन्न किया है। एकमात्र उसकी उपासना करने से मनुष्य सद्गति को लाभ कर सकता है ॥४॥
बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (एषः) उक्त ईश्वरः (शृङ्गाणि) अखिललोकान् (दोधुवत्) चालयति (शिशीते) सर्वत्रगोऽस्ति (यूथ्यः) सर्वपतिः (वृषा) कामनाप्रदः (ओजसा) स्वतेजसा (नृम्णा) कृत्स्नमैश्वर्यं (दधानः) धारयन् तिष्ठति ॥४॥