अ॒ञ्जन्त्ये॑नं॒ मध्वो॒ रसे॒नेन्द्रा॑य॒ वृष्ण॒ इन्दुं॒ मदा॑य ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
añjanty enam madhvo rasenendrāya vṛṣṇa indum madāya ||
पद पाठ
अ॒ञ्जन्ति॑ । ए॒न॒म् । मध्वः॑ । रसे॑न । इन्द्रा॑य । वृष्णे॑ । इन्दु॑म् । मदा॑य ॥ ९.१०९.२०
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:109» मन्त्र:20
| अष्टक:7» अध्याय:5» वर्ग:21» मन्त्र:10
| मण्डल:9» अनुवाक:7» मन्त्र:20
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (एनं) उक्त परमात्मा को (मध्वः, रसेन) उसके माधुर्य्ययुक्त रस से (वृष्णे) सब कामनाओं को पूर्ण करनेवाले (इन्द्राय) कर्मयोगी के (मदाय) आनन्द के लिये (इन्दुं) स्वप्रकाश परमात्मा का उपासक लोग (अञ्जन्ति) ज्ञानवृत्ति द्वारा योग करते हैं ॥२०॥
भावार्थभाषाः - परमात्मयोग के अर्थ ब्रह्मविषयणी वृत्ति द्वारा परमात्मा के योग का नाम “परमात्मयोग” है अर्थात् उपासक लोग ज्ञानवृत्ति द्वारा परमात्मा के समीपी होकर परमात्मरूप माधुर्य रस को पान करते हुए तृप्त होते हैं ॥२०॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (एनं) इमं परमात्मानं (मध्वः, रसेन) तन्माधुर्यरसेन (वृष्णे) सर्वकामप्रदाय (इन्द्राय) कर्मयोगिने (मदाय) आनन्दाय च (इन्दुम्) स्वप्रकाशं तं (अञ्जन्ति) उपासका ज्ञानवृत्त्यात्मनि योजयन्ति ॥२०॥