स॒द्यो॒जुव॑स्ते॒ वाजा॑ अ॒स्मभ्यं॑ वि॒श्वश्च॑न्द्राः । वशै॑श्च म॒क्षू ज॑रन्ते ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
sadyojuvas te vājā asmabhyaṁ viśvaścandrāḥ | vaśaiś ca makṣū jarante ||
पद पाठ
स॒द्यः॒ऽजुवः॑ । ते॒ । वाजाः॑ । अ॒स्मभ्य॑म् । वि॒श्वऽच॑न्द्राः । वशैः॑ । च॒ । म॒क्षु । ज॒र॒न्ते॒ ॥ ८.८१.९
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:81» मन्त्र:9
| अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:38» मन्त्र:4
| मण्डल:8» अनुवाक:9» मन्त्र:9
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शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवन् ! (दक्षिणेन) दक्षिण हस्त से (नः) हम लोगों को (आ+भर) धनधान्य से पूर्ण कर (सव्येन) बायें हाथ से (अभि+प्रमृश) चारों ओर रक्षा कर, हे इन्द्र (नः) हम लोगों को (वसोः) धन और वास से (मा+निर्भाक्) मत अलग कर ॥६॥
भावार्थभाषाः - यहाँ पुरुषत्व का आरोप करके वर्णन किया गया है, इसलिये दक्षिण और सव्य शब्द का प्रयोग है। ईश्वर हम लोगों का चारों ओर से भरण-पोषण कर रहा है और विस्तृत धन और वास दे रहा है, अतः वही मनुष्यों का पूज्य देव है ॥६॥
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शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवन् ! दक्षिणेन हस्ते। नः=अस्मान्। आ+भर=पोषय सव्येन च अभिप्रमृश। अभितः प्ररक्ष। हे इन्द्र। नः=अस्मान्। वसोः=धनात्। मा+निर्भाक्=निर्भाक्षीः ॥६॥