उप॑ क्रम॒स्वा भ॑र धृष॒ता धृ॑ष्णो॒ जना॑नाम् । अदा॑शूष्टरस्य॒ वेद॑: ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
upa kramasvā bhara dhṛṣatā dhṛṣṇo janānām | adāśūṣṭarasya vedaḥ ||
पद पाठ
उप॑ । क्र॒म॒स्व॒ । आ । भ॒र॒ । धृ॒ष॒ता । धृ॒ष्णो॒ इति॑ । जना॑नाम् । अदा॑शूःऽतरस्य । वेदः॑ ॥ ८.८१.७
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:81» मन्त्र:7
| अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:38» मन्त्र:2
| मण्डल:8» अनुवाक:9» मन्त्र:7
बार पढ़ा गया
शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! (एत) आइये। हम सब मिलकर (नु) इस समय (इन्द्रम्+स्तवाम) उस परमात्मा का कीर्तिगान और स्तवन करें, जो (वस्वः+ईशानम्) इस जगत् और धन का स्वामी और अधिकारी है और (स्वराजम्) स्वतन्त्र राजा और स्वयं विराजमान देव है। जिसकी स्तुति से अन्य कोई भी (नः) हम लोगों को (राधसा) धन के कारण (न+मर्धिषत्) बाधा नहीं पहुँचा सकता ॥४॥
भावार्थभाषाः - जो जन ईश्वर में विश्वास कर उसकी आज्ञा पर चलता रहता है, उसको बाह्य या आन्तरिक बाधा नहीं पहुँच सकती ॥४॥
बार पढ़ा गया
शिव शंकर शर्मा
पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! एतो=एत=आगच्छत। नु=इदानीम्। वस्वः=वसुनः धनस्य जगतश्चेशानम्। स्वराजं=स्वयमेव राजमानमिन्द्रम्। स्तवाम। एतेन स्तवेन। नोऽस्मान्। अन्येन राधसा=धनेन। मर्धिषत्=न बाधताम् ॥४॥