स नो॒ विश्वे॑भिर्दे॒वेभि॒रूर्जो॑ नपा॒द्भद्र॑शोचे । र॒यिं दे॑हि वि॒श्ववा॑रम् ॥
                                    अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
                  
                                  मन्त्र उच्चारण
                  sa no viśvebhir devebhir ūrjo napād bhadraśoce | rayiṁ dehi viśvavāram ||
                  पद पाठ 
                  
                                सः । नः॒ । विश्वे॑भिः । दे॒वेभिः॑ । ऊर्जः॑ । नपा॑त् । भद्र॑ऽशोचे । र॒यिम् । दे॒हि॒ । वि॒श्वऽवा॑रम् ॥ ८.७१.३
                  ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:71» मन्त्र:3 
                  | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:11» मन्त्र:3 
                  | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:3
                
              
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                    शिव शंकर शर्मा
                   पदार्थान्वयभाषाः -  (मघवा) परमैश्वर्य्यशाली (शौरदेव्यः) शूरों और देवों का हितकारी ईश्वर (नः) हमको (त्रिभ्यः) तीनों लोकों से (कर्णगृह्य) कान पकड़ कर (वत्सम्) वत्स लाकर देता है, (न) जैसे (सूरिः) स्वामी (धातवे) पिलाने के लिये (अजाम्) बकरी को लाता है ॥१५॥              
              
              
                            
                  भावार्थभाषाः -  ईश्वर जिसको देना चाहता है, उसको अनेक उपायों से देता है। मानो तीनों लोकों में से कहीं से आनकर उसको अभिलषित देता है, क्योंकि वह महाधनेश्वर है। हे मनुष्यों ! उसकी उपासना प्रेम से करो ॥१५॥              
              
              
                            
              
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                    शिव शंकर शर्मा
                   पदार्थान्वयभाषाः -  मघवा=परमैश्वर्य्ययुक्तः। शौरदेव्यः=शूराणाम्। देवानां च हितकारी इन्द्रवाच्येश्वरः। नः=अस्मान् प्रति त्रिभ्यो=लोकेभ्यः। कर्णगृह्य=कर्णं गृहीत्वा। वत्सम्। आनयत्=आनयति। न=यथा। धातवे=पानाय। सूरिः। अजां नयति ॥१५॥              
              
              
              
              
                            
              
            
                  