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सु॒दे॒वो अ॑सि वरुण॒ यस्य॑ ते स॒प्त सिन्ध॑वः । अ॒नु॒क्षर॑न्ति का॒कुदं॑ सू॒र्म्यं॑ सुषि॒रामि॑व ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sudevo asi varuṇa yasya te sapta sindhavaḥ | anukṣaranti kākudaṁ sūrmyaṁ suṣirām iva ||

पद पाठ

सु॒ऽदे॒वः । अ॒सि॒ । व॒रु॒ण॒ । यस्य॑ । ते॒ । स॒प्त । सिन्ध॑वः । अ॒नु॒ऽक्षर॑न्ति । का॒कुद॑म् । सू॒र्म्य॑म् । सु॒षि॒राम्ऽइ॑व ॥ ८.६९.१२

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:69» मन्त्र:12 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:7» मन्त्र:2 | मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:12


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शिव शंकर शर्मा

वैराग्योत्पादन के लिये संसार की विलक्षणता दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (गर्गरः) गर्गरशब्दयुक्त नक्कारा आदि बाजा (अव+स्वराति) भयावह शब्द कर रहा है, (गोधा) ढोल मृदङ्ग आदि (परि+सनिस्वनत्) चारों तरफ बड़े जोर से बज रहे हैं, इसी प्रकार (पिङ्गा) अन्यान्य वाद्य भी (परि+चनिष्कदत्) चारों ओर भय दिखला रहे हैं, अतः हे मनुष्यों ! (इन्द्राय) उस परमात्मा के लिये (ब्रह्म+उद्यतम्) स्तुतिगान का उद्योग हो ॥९॥
भावार्थभाषाः - यह संसार महायुद्धक्षेत्र है। इसमें प्रतिक्षण अपने-अपने अस्तित्व के लिये सभी जीव युद्ध कर रहे हैं। मनुष्य-समाज में अन्य जीवों की अपेक्षा अधिकसंग्राम है। अतः इसमें कौन बचेगा और कौन मरेगा, इसका निश्चय नहीं, इस हेतु प्रथम परमात्मा का स्मरण करो ॥९॥
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शिव शंकर शर्मा

संसारवैलक्षण्यं प्रदर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - गर्गरः=गर्गरध्वनियुक्तो वाद्यविशेषः। अव+स्वराति= भयावहं शब्दं करोति। गोधा=एतन्नामकं वाद्यम्। परि=परितः। सनिस्वनत्=भृशं स्वनति=शब्दयति। पिङ्गा। परि+चनिष्कदत्=स्वध्वनिना विभीषयति ॥९॥