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प॒दा प॒णीँर॑रा॒धसो॒ नि बा॑धस्व म॒हाँ अ॑सि । न॒हि त्वा॒ कश्च॒न प्रति॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

padā paṇīm̐r arādhaso ni bādhasva mahām̐ asi | nahi tvā kaś cana prati ||

पद पाठ

प॒दा । प॒णी॑न् । अ॒रा॒धसः॑ । नि । बा॒ध॒स्व॒ । म॒हान् । अ॒सि॒ । न॒हि । त्वा॒ । कः । च॒न । प्रति॑ ॥ ८.६४.२

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:64» मन्त्र:2 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:44» मन्त्र:2 | मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:2


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - (शूर) हे शूर (इन्द्र) हे महेश ! हम मनुष्य तुझको ही (ऋक्वभिः) विविध मन्त्रों द्वारा (नोनुमः) वारंवार नमस्कार करें (बट्) वह सत्य है, जो तू (ऋत्वियाय) ऋतु-ऋतु में अपनी महिमा को दिखलाता है और तू (धाम्ने) तेज आनन्द कृपा धन आदि का धाम है। हे इन्द्र ! (त्वया+युजा) तुझ मित्र के साथ (जेषाम) निखिल विघ्नों को जीतें ॥११॥
भावार्थभाषाः - हम अपने अन्तःकरण से उसकी उपासना करें, जिससे वह सत्य अर्थात् फलप्रद हो और उसी की सहायता से अपने-अपने निखिल विघ्नों को दूर किया करें ॥११॥
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे शूर हे इन्द्र ! वयं मनुष्याः। तुभ्यम्। ऋक्वभिः=मन्त्रैः। नोनुमः=अतिशयेन स्तुमः। तत् बट्=सत्यं भवतु। कथं भूताय। ऋत्वियाय=क्रतौ स्वमहिमप्रदर्शकाय। धाम्ने=तेजःस्वरूपाय। हे इन्द्र ! त्वया युजा=मित्रेण सह। जेषाम=सर्वान् विघ्नान् जयेम ॥११॥