यस्ते॑ रे॒वाँ अदा॑शुरिः प्रम॒मर्ष॑ म॒घत्त॑ये । तस्य॑ नो॒ वेद॒ आ भ॑र ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
yas te revām̐ adāśuriḥ pramamarṣa maghattaye | tasya no veda ā bhara ||
पद पाठ
यः । ते॒ । रे॒वान् । अदा॑शुरिः । प्र॒ऽम॒मर्ष॑ । म॒घत्त॑ये । तस्य॑ । नः॒ । वेदः॑ । आ । भ॒र॒ ॥ ८.४५.१५
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:45» मन्त्र:15
| अष्टक:6» अध्याय:3» वर्ग:44» मन्त्र:5
| मण्डल:8» अनुवाक:6» मन्त्र:15
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शिव शंकर शर्मा
यहाँ से इन्द्रवाच्य ईश्वर की स्तुति कहते हैं।
पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! (ते) तेरे (जरितृभ्यः) स्तुतिपाठकों को (दिवे दिवे) प्रतिदिन जनता बहुत धन (वि+मंहते) दिया करती है (ऊर्ध्वा) श्रेष्ठ और मुख्य वस्तु देती है। (सूनृता) उनके निकट सत्यसाधन उपस्थित करती है तथा (सहस्रा+शता) अनेक प्रकार के बहुविध धन देती है ॥१२॥
टिप्पणी: अन्तरात्मा में भी ये ऋचाएँ घट सकती हैं। जो आत्मा सिद्ध तपस्वी जितेन्द्रिय लोकोपकारी बनता है, उसको लोग क्या नहीं देते हैं। इस प्रकार दो तीन पक्ष दिखलाए जा सकते हैं। परन्तु ग्रन्थविस्तार के भय से कोई एक ही पक्ष भाष्यान्वित किया जाता है। इस पर ध्यान रखना चाहिये ॥१२॥
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शिव शंकर शर्मा
अतः परमिन्द्रवाच्य ईशः स्तूयते।
पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र। ते=तव। जरितृभ्यः=स्तुतिपाठकेभ्यः। जनता दिवेदिवे=प्रतिदिनम्। बहुधनम्। विमंहते=ददाति। किं ददातीत्यपेक्षायामाह−ऊर्ध्वा=ऊर्ध्वानि=मुख्यानि। सूनृता= सूनृतानि। सहस्रा=सहस्राणि। शता=शतानि। वस्तूनि ददाति ॥१२॥