योनि॒मेक॒ आ स॑साद॒ द्योत॑नो॒ऽन्तर्दे॒वेषु॒ मेधि॑रः ॥
                                    अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
                  
                
                yonim eka ā sasāda dyotano ntar deveṣu medhiraḥ ||
                  पद पाठ 
                  
                                योनि॑म् । एकः॑ । आ । स॒सा॒द॒ । द्योत॑नः । अ॒न्तः । दे॒वेषु॑ । मेधि॑रः ॥ ८.२९.२
                  ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:29» मन्त्र:2 
                  | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:36» मन्त्र:2 
                  | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:2
                
              
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                    शिव शंकर शर्मा
चक्षुदेव को दिखलाते हैं।
                   पदार्थान्वयभाषाः -  (देवेषु) इन्द्रियों के (अन्तः) मध्य (द्योतनः) स्वतेज से प्रकाशमान और (मेधिरः) बुद्धिप्रद (एकः) एक नयनरूप देव (योनिम्) प्रधानस्थान (आससाद) पाए हुए हैं ॥२॥              
              
              
                            
                  भावार्थभाषाः -  शरीर में नयन देव का प्रधान आसन है। प्रथम मनुष्य की बुद्धि इससे बढ़ती है, क्योंकि इससे देख-देखकर शिशु में जिज्ञासा शक्ति बढ़ती जाती है ॥२॥              
              
              
                            
              
              बार पढ़ा गया
        
                    शिव शंकर शर्मा
चक्षुर्देवं दर्शयति।
                   पदार्थान्वयभाषाः -  देवेषु=देवानामिन्द्रियाणाम्। अन्तर्मध्ये। द्योतनः=प्रकाशमानः। मेधिरः=मेधावी=मेधाप्रदो=बुद्धिदः। एकश्चक्षुर्देवः। योनिम्=प्रधानस्थानम्। आससाद=प्राप्नोति ॥२॥              
              
              
              
              
                            
              
            
                  