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य॒दा ते॒ मारु॑ती॒र्विश॒स्तुभ्य॑मिन्द्र नियेमि॒रे । आदित्ते॒ विश्वा॒ भुव॑नानि येमिरे ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yadā te mārutīr viśas tubhyam indra niyemire | ād it te viśvā bhuvanāni yemire ||

पद पाठ

य॒दा । ते॒ । मारु॑तीः । विशः॑ । तुभ्य॑म् । इ॒न्द्र॒ । नि॒ऽये॒मि॒रे । आत् । इत् । ते॒ । विश्वा॑ । भुव॑नानि । ये॒मि॒रे॒ ॥ ८.१२.२९

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:12» मन्त्र:29 | अष्टक:6» अध्याय:1» वर्ग:6» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:2» मन्त्र:29


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शिव शंकर शर्मा

उसकी विभूति दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे इन्द्र ! हे परमात्मदेव ! (यदा) जिस काल में (ते) तेरी उत्पादित (मारुतीः) वायुप्रधान लोक में स्थापित (विशः) मेघरूपी प्रजाएँ (तुभ्यम्) तुझको (नियेमिरे) अपने ऊपर प्रकाशित करते हैं अर्थात् जब मेघों में तेरी विद्युद्रूप से परमविभूति दीखने लगती है, तब मानो (आद्+इत्) उसके पश्चात् ही (ते) तेरे (विश्वा+भुवनानि) निखिल भुवन स्व-२ नियम में (येमिरे) स्वयं बद्ध हो जाते हैं अर्थात् मेघ के गर्जन तर्जन सुन सारी प्रजाएँ कम्पायमान हो स्व-२ नियम में निबद्ध हो जाती हैं ॥२९॥
भावार्थभाषाः - ईश्वर की विभूति वायु आदि समस्त पदार्थ में दीख पड़ती है ॥२९॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (यदा) जब (ते) आपकी (मारुतीः, विशः) सैनिक प्रजायें (तुभ्यम्) आपकी आज्ञापालन करने के लिये (नियेमिरे) सब प्राणियों का नियमन करती हैं (आदित्) तभी (विश्वा, ते, भुवनानि) आपके सब लोक (येमिरे) नियमबद्ध रहते हैं ॥२९॥
भावार्थभाषाः - हे परमात्मन् ! आपके नियम में बँधी हुई सब सैनिक प्रजाएँ अर्थात् राष्ट्र को नियम में रखनेवाली शक्तिरूप सेनाएँ आपकी आज्ञापालन करने के लिये सबको नियम में रखती हैं, इसी कारण सब लोक-लोकान्तर नियमबद्ध हो रहे हैं ॥२९॥
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शिव शंकर शर्मा

तस्य विभूतिं दर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - हे इन्द्र ! यदा=यस्मिन् काले। ते=तवोत्पादिताः। मारुतीः=मारुत्यो वायुप्रधानभूते लोके स्थापिताः=विशो मेघरूपाः प्रजाः। तुभ्यम्=त्वाम्। नियेमिरे=नियमयन्ति=नितरां रमयन्ति=प्रकाशयन्ति। आदित्ते इत्यादि गतम् ॥२९॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (यदा) यत्र काले (ते) तव (मारुतीः, विशः) सैनिकप्रजाः (तुभ्यम्) त्वदाज्ञापालनार्थम् (नियेमिरे) नियमयन्ति भूतानि (आदित्) अनन्तरमेव (ते) तव (विश्वा, भुवनानि) सम्पूर्णलोकाः (येमिरे) नियम्यन्ते ॥२९॥