मा पा॑प॒त्वाय॑ नो न॒रेन्द्रा॑ग्नी॒ माभिश॑स्तये । मा नो॑ रीरधतं नि॒दे ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
mā pāpatvāya no narendrāgnī mābhiśastaye | mā no rīradhataṁ nide ||
पद पाठ
मा । पा॒प॒ऽत्वाय॑ । नः॒ । न॒रा॒ । इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑ । मा । अ॒भिऽश॑स्तये । मा । नः॒ । री॒र॒ध॒त॒म् । नि॒दे ॥ ७.९४.३
ऋग्वेद » मण्डल:7» सूक्त:94» मन्त्र:3
| अष्टक:5» अध्याय:6» वर्ग:17» मन्त्र:3
| मण्डल:7» अनुवाक:6» मन्त्र:3
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्राग्नी) हे कर्मयोगी तथा ज्ञानयोगी विद्वानों ! आप (नरा) शुभमार्गों के नेता हैं; आपके सत्सङ्ग से (अभिशस्तये) शत्रुदमन के योग्य हम (मा) मत हों और (नः) हमको (मा, रीरधतं) हिंसा के भागी न बनायें और (निदे) निन्दा के भागी मत बनायें, (पापत्वाय) पाप के लिए हमारा जीवन (मा) मत हो ॥३॥
भावार्थभाषाः - विद्वानों से मिलकर जिज्ञासुओं को यह प्रार्थना करनी चाहिए कि आपके सङ्ग से हम में ऐसा बल उत्पन्न हो कि हमको शत्रु कभी दबा न सकें और हम कोई ऐसा काम न करें, जिससे हमारी संसार में निन्दा हो और हमारा मन कदापि पाप की ओर न जाये ॥३॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्राग्नी) हे कर्मज्ञानोभययोगिनौ विद्वांसौ ! भवन्तौ (नरा) शुभमार्गनेतारौ स्तः, अतः भवत्सुसंसर्गेण (अभिशस्तये) दमनयोग्यः (मा) न स्याम्, तथा (नः) मां (मा, रीरधतम्) हिंसकं मा कार्ष्टां (निदे) निन्दकं (पापत्वाय) पापाचारिणं च मां (मा) मा कार्ष्टाम् ॥३॥