पदार्थान्वयभाषाः - (तत्) वह परमात्मा उपदेश करता है कि हे मनुष्यों ! तुम उन विद्वानों का (अद्य) आज (सूरे, उदिते) सूर्योदयकाल में (सूक्तैः) सुन्दर वाणियों द्वारा (मनामहे) आवाहन करो, (यत्) जो (ओहते) सुमार्ग दिखलानेवाले हैं और उनसे प्रार्थना करो कि (वरुणः) हे सर्वपूज्य (मित्रः) सर्वप्रिय (अर्यमा) न्यायपूर्वक वर्तनेवाले (रथ्यः) सन्मार्ग के नेता लोगों ! (यूयं) आप ही (ऋतस्य) सन्मार्ग में प्रवृत्त करानेवाले हैं ॥१२॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में यह उपदेश है कि हे जिज्ञासु जनों ! तुम अपने प्रात:स्मणीय विद्वानों को सूर्योदयसमय सत्कारपूर्वक आह्वान=बुलाओ और उनसे प्रार्थना करो कि आप न्यायादिगुणसम्पन्न होने से हमारे पूज्य हैं। कृपा करके हमें भी सन्मार्ग का उपदेश करें, क्योंकि स्वयं अनुष्ठानी तथा सदाचारी विद्वान् ही अपने सदुपदेशों द्वारा सन्मार्ग को दर्शा सकते हैं। सो आप हमें भी कल्याणकारक उपदेशों द्वारा कृतकृत्य करें ॥ कई एक पोराणिक लोग “आह्वान” के अर्थ किसी असम्भव देवताविशेष को बुलाने के लिए किया करते हैं, वह ठीक नहीं, “आह्वान” के अर्थ विद्यमान विद्वानों के सत्कार के ही हैं ॥१२॥