मा नो॑ नि॒दे च॒ वक्त॑वे॒ऽर्यो र॑न्धी॒ररा॑व्णे। त्वे अपि॒ क्रतु॒र्मम॑ ॥५॥
mā no nide ca vaktave ryo randhīr arāvṇe | tve api kratur mama ||
मा। नः॒। नि॒दे। च॒। वक्त॑वे। अ॒र्यः। र॒न्धीः॒। अरा॑व्णे। त्वे इति॑। अपि॑। क्रतुः॑। मम॑ ॥५॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर राजा क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुना राजा किं कुर्यादित्याह ॥
हे राजन्नर्यस्त्वं यो मम त्वे क्रतुरस्ति तं मा रन्धीरपितु नो वक्तवे अराव्णे निदे च भृशं दण्डं दद्याः ॥५॥