बळि॒त्था म॑हि॒मा वा॒मिन्द्रा॑ग्नी॒ पनि॑ष्ठ॒ आ। स॒मा॒नो वां॑ जनि॒ता भ्रात॑रा यु॒वं य॒मावि॒हेह॑मातरा ॥२॥
baḻ itthā mahimā vām indrāgnī paniṣṭha ā | samāno vāṁ janitā bhrātarā yuvaṁ yamāv ihehamātarā ||
बट्। इ॒त्था। म॒हि॒मा। वा॒म्। इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑। पनि॑ष्ठः। आ। स॒मा॒नः। वा॒म्। ज॒नि॒ता। भ्रात॑रा। यु॒वम्। य॒मौ। इ॒हेह॑ऽमातरा ॥२॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर अध्यापक और उपदेशक कैसे हों, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनरध्यापकोपदेशकौ कीदृशौ भवेतामित्याह ॥
हे इन्द्राग्नी ! यो वां पनिष्ठो बड् महिमा वां समानो जनितेहेहमातरा यमौ भ्रातरा वर्त्तेते तावित्था युवमाजीवथः ॥२॥