स रथे॑न र॒थीत॑मो॒ऽस्माके॑नाभि॒युग्व॑ना। जेषि॑ जिष्णो हि॒तं धन॑म् ॥१५॥
sa rathena rathītamo smākenābhiyugvanā | jeṣi jiṣṇo hitaṁ dhanam ||
सः। रथे॑न। र॒थिऽत॑मः। अ॒स्माके॑न। अ॒भि॒ऽयुग्व॑ना। जेषि॑। जि॒ष्णो॒ इति॑। हि॒तम्। धन॑म् ॥१५॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर वह राजा किससे किसको जीते, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनः स राजा केन किं जयेदित्याह ॥
हे जिष्णो ! स रथीतमस्त्वमभियुग्वनाऽस्माकेन रथेन हितं धनं जेषि तस्मात् प्रशंसनीयो भवसि ॥१५॥