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स रथे॑न र॒थीत॑मो॒ऽस्माके॑नाभि॒युग्व॑ना। जेषि॑ जिष्णो हि॒तं धन॑म् ॥१५॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sa rathena rathītamo smākenābhiyugvanā | jeṣi jiṣṇo hitaṁ dhanam ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सः। रथे॑न। र॒थिऽत॑मः। अ॒स्माके॑न। अ॒भि॒ऽयुग्व॑ना। जेषि॑। जि॒ष्णो॒ इति॑। हि॒तम्। धन॑म् ॥१५॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:45» मन्त्र:15 | अष्टक:4» अध्याय:7» वर्ग:23» मन्त्र:5 | मण्डल:6» अनुवाक:4» मन्त्र:15


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर वह राजा किससे किसको जीते, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (जिष्णो) जीतनेवाले (सः) वह (रथीतमः) अतिशय करके बहुत रथोंवाले आप (अभियुग्वना) विभक्त होनेवाले (अस्माकेन) हमारे (रथेन) वाहन से (हितम्) प्रवृद्ध (धनम्) धन को (जेषि) जीतते हो, इससे प्रशंसा करने योग्य होते हो ॥१५॥
भावार्थभाषाः - जो राजा प्रशंसनीय वाहन आदि से बहुत धन को जीतता है, वह प्रशंसनीय होता है ॥१५॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनः स राजा केन किं जयेदित्याह ॥

अन्वय:

हे जिष्णो ! स रथीतमस्त्वमभियुग्वनाऽस्माकेन रथेन हितं धनं जेषि तस्मात् प्रशंसनीयो भवसि ॥१५॥

पदार्थान्वयभाषाः - (सः) (रथेन) (रथीतमः) बहवो रथा विद्यन्ते यस्य सोऽतिशयितः (अस्माकेन) अस्मदीयेन (अभियुग्वना) योऽभियुज्यते वन्यते विभज्यते तेन (जेषि) जयसि। अत्र शपो लुक्। (जिष्णो) जयशील (हितम्) प्रवृद्धम् (धनम्) ॥१५॥
भावार्थभाषाः - यो राजा प्रशंसनीयेन वाहनादिना बहु धनं जयति स प्रशंसनीयो भवति ॥१५॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जो राजा उत्कृष्ट वाहन इत्यादीद्वारे धन जिंकतो तो प्रशंसनीय असतो. ॥ १५ ॥