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द्यावो॒ न यस्य॑ प॒नय॒न्त्यभ्वं॒ भासां॑सि वस्ते॒ सूर्यो॒ न शु॒क्रः। वि य इ॒नोत्य॒जरः॑ पाव॒कोऽश्न॑स्य चिच्छिश्नथत्पू॒र्व्याणि॑ ॥३॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

dyāvo na yasya panayanty abhvam bhāsāṁsi vaste sūryo na śukraḥ | vi ya inoty ajaraḥ pāvako śnasya cic chiśnathat pūrvyāṇi ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

द्यावः॑। न। यस्य॑। प॒नय॑न्ति। अभ्व॑म्। भासां॑सि। व॒स्ते॒। सूर्यः॑। न। शु॒क्रः। वि। यः। इ॒नोति॑। अ॒जरः॑। पा॒व॒कः। अश्न॑स्य। चि॒त्। शि॒श्न॒थ॒त्। पू॒र्व्याणि॑ ॥३॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:4» मन्त्र:3 | अष्टक:4» अध्याय:5» वर्ग:5» मन्त्र:3 | मण्डल:6» अनुवाक:1» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! (द्यावः) कामना करते हुए विद्वान् जन (न) जैसे वैसे जन (यस्य) जिस परमेश्वर की (अभ्वम्) बड़ी महिमा की (पनयन्ति) स्तुति कराते हैं और (सूर्य्यः) सूर्य्य (न) जैसे वैसे (शुक्रः) शुद्ध, पवित्र वा बलिष्ठ जन (भासांसि) तेजों को (वस्ते) आच्छादित करता है और (यः) जो (अजरः) जरादोष से रहित (पावकः) पवित्र और सब को पवित्र करनेवाला (वि, इनोति) विशेष व्याप्त होता है और (अश्नस्य) व्यापक के मध्य में (पूर्व्याणि) पहिले निर्मित वस्तुओं का (चित्) भी (शिश्नथत्) प्रलय करता है, वही जगदीश्वर जानने योग्य है ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जो परमेश्वर प्रकाशकों का प्रकाशक, नित्यों का नित्य और चेतनों का चेतन है, उसी का भजन करो ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे मनुष्या ! द्यावो न जना यस्याऽभ्वं पनयन्ति सूर्य्यो न शुक्रः सन् भासांसि वस्ते योऽजरः पावको वीनोत्यश्नस्य मध्ये पूर्व्याणि चिच्छिश्नथत् स एव जगदीश्वरो ज्ञेयोऽस्ति ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (द्यावः) कामयमाना विद्वांसः (न) इव (यस्य) परमेश्वरस्य (पनयन्ति) स्तावयन्ति (अभ्वम्) महान्तं महिमानम् (भासांसि) प्रकाशान् (वस्ते) आच्छादयति (सूर्य्यः) (न) इव (शुक्रः) (वि) विशेषेण (यः) (इनोति) प्राप्नोति। इन्वतिर्व्याप्तिकर्म्मा। (निघं०२.१८) (अजरः) जरादोषरहितः (पावकः) पवित्रः पवित्रकर्त्ता वा (अश्नस्य) व्यापकस्य (चित्) (शिश्नथत्) प्रलयं करोति (पूर्व्याणि) पूर्वनिर्म्मितानि वस्तूनि ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्या ! यः परमेश्वरः प्रकाशकानां प्रकाशको नित्यानां नित्यश्चेतनानां चेतनोऽस्ति तमेव भजत ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो ! जो परमेश्वर प्रकाशकांचा प्रकाशक, नित्यामध्ये नित्य व चेतनामध्ये चेतन आहे त्याचेच भजन करा. ॥ ३ ॥