तव॒ प्र य॑क्षि सं॒दृश॑मु॒त क्रतुं॑ सु॒दान॑वः। विश्वे॑ जुषन्त का॒मिनः॑ ॥८॥
tava pra yakṣi saṁdṛśam uta kratuṁ sudānavaḥ | viśve juṣanta kāminaḥ ||
तव॑। प्र। य॒क्षि॒। स॒म्ऽदृश॑म्। उ॒त। क्रतु॑म्। सु॒ऽदान॑वः। विश्वे॑। जु॒ष॒न्त॒। का॒मिनः॑ ॥८॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर अध्यापक और पढ़नेवाले परस्पर कैसा वर्त्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनरध्यापकाऽध्येतारः परस्परं कथं वर्त्तेरन्नित्याह ॥
हे विद्वन् ! ये सुदानवो विश्वे कामिनो जनास्तव सन्दृशमुत क्रतुं जुषन्त तांस्त्वं तद्दानेन प्र यक्षि ॥८॥