वांछित मन्त्र चुनें

इन्द्र॑श्च वायवेषां सु॒तानां॑ पी॒तिम॑र्हथः। ताञ्जु॑षेथामरे॒पसा॑व॒भि प्रयः॑ ॥६॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

indraś ca vāyav eṣāṁ sutānām pītim arhathaḥ | tāñ juṣethām arepasāv abhi prayaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

इन्द्रः॑। च॒। वा॒यो॒ इति॑। ए॒षा॒म्। सु॒ताना॑म्। पी॒तिम्। अ॒॒र्ह॒थः॒। तान्। जु॒षे॒था॒म्। अ॒रे॒पसौ॑। अ॒भि। प्र॒यः॑ ॥६॥

ऋग्वेद » मण्डल:5» सूक्त:51» मन्त्र:6 | अष्टक:4» अध्याय:3» वर्ग:6» मन्त्र:1 | मण्डल:5» अनुवाक:4» मन्त्र:6


बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब राजा और अमात्य क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (वायो) मुख्य पुरुष ! (इन्द्रः, च) और राजा आप दोनों (एषाम्) इन वर्त्तमान (सुतानाम्) पालना से छूटे अर्थात् सिद्ध हुए पदार्थों के (पीतिम्) पान के (अर्हथः) योग्य होते हैं (तान्) उनको और (अरेपसौ) दयालु हुए (प्रयः) सुन्दर अन्न को (अभि, जुषेथाम्) सेवन करें ॥६॥
भावार्थभाषाः - जहाँ राजा और मन्त्री धार्मिक होवें, वहाँ सम्पूर्ण योग्यता होवे ॥६॥
बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ राजामात्यौ किं कुर्य्यातामित्याह ॥

अन्वय:

हे वायो ! इन्द्रश्च युवामेषां सुतानां पीतिमर्हथस्तानरेपसौ सन्तौ प्रयोऽभि जुषेथाम् ॥६॥

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्रः) राजा (च) (वायो) प्रधानपुरुष (एषाम्) वर्त्तमानानाम् (सुतानाम्) निष्पालनानाम् (पीतिम्) पानम् (अर्हथः) (तान्) (जुषेथाम्) (अरेपसौ) दयालू (अभि) (प्रयः) कमनीयमन्नम् ॥६॥
भावार्थभाषाः - यत्र राजामात्या धार्मिकाः स्युस्तत्र सर्वा योग्यता जायेत ॥६॥
बार पढ़ा गया

माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जेथे राजा व मंत्री धार्मिक असतील तेथे सर्व प्रकारची योग्यता उत्पन्न होते. ॥ ६ ॥