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स॒हस्रा॑ ते श॒ता व॒यं गवा॒मा च्या॑वयामसि। अ॒स्म॒त्रा राध॑ एतु ते ॥१८॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sahasrā te śatā vayaṁ gavām ā cyāvayāmasi | asmatrā rādha etu te ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

स॒हस्रा॑। ते॒। श॒ता। व॒यम्। गवा॑म्। आ। च्या॒व॒या॒म॒सि॒। अ॒स्म॒ऽत्रा। राधः॑। ए॒तु॒। ते॒ ॥१८॥

ऋग्वेद » मण्डल:4» सूक्त:32» मन्त्र:18 | अष्टक:3» अध्याय:6» वर्ग:30» मन्त्र:2 | मण्डल:4» अनुवाक:3» मन्त्र:18


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे धन के ईश (ते) आप का (राधः) धन (अस्मत्रा) हम लोगों में (एतु) प्राप्त हो और (ते) आपकी (गवाम्) गौ के (सहस्रा) हजारों और (शता) सैकड़ों समूह को (वयम्) हम लोग (आ, च्यावयामसि) प्राप्त कराते हैं ॥१८॥
भावार्थभाषाः - हे धनाढ्य ! आपके समीप से हम लोग गौ आदि पदार्थों को प्राप्त होकर औरों के लिये देते हैं और हम लोगों का धन आपको प्राप्त हो ॥१८॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे धनेश ! ते राधोऽस्मत्रैतु ते तव गवां सहस्रा शता वयमाच्यावयामसि ॥१८॥

पदार्थान्वयभाषाः - (सहस्रा) सहस्राणि (ते) तव (शता) शतानि (वयम्) (गवाम्) (आ) (च्यावयामसि) प्रापयामः (अस्मत्रा) अस्मासु (राधः) धनम् (एतु) प्राप्नोतु (ते) तव ॥१८॥
भावार्थभाषाः - हे धनाढ्य ! तव सकाशाद्वयं गवादीन् प्राप्याऽन्येभ्यो दद्मः। अस्माकं धनं भवन्तं प्राप्नोतु ॥१८॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे धनाढ्य लोकांनो! तुमच्याकडून आम्ही गाई वगैरे पदार्थ प्राप्त करून इतरांना देतो व आमचे धन तुम्हाला मिळते. ॥ १८ ॥