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क इ॒मं द॒शभि॒र्ममेन्द्रं॑ क्रीणाति धे॒नुभिः॑। य॒दा वृ॒त्राणि॒ जङ्घ॑न॒दथै॑नं मे॒ पुन॑र्ददत् ॥१०॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ka imaṁ daśabhir mamendraṁ krīṇāti dhenubhiḥ | yadā vṛtrāṇi jaṅghanad athainam me punar dadat ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

कः। इ॒मम्। द॒शऽभिः॑। मम॑। इन्द्र॑म्। क्री॒णा॒ति॒। धे॒नुऽभिः॑। य॒दा। वृ॒त्राणि॑। जङ्घ॑नत्। अथ॑। ए॒न॒म्। मे॒। पुनः॑। द॒द॒त् ॥१०॥

ऋग्वेद » मण्डल:4» सूक्त:24» मन्त्र:10 | अष्टक:3» अध्याय:6» वर्ग:12» मन्त्र:5 | मण्डल:4» अनुवाक:3» मन्त्र:10


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! (कः) कौन (दशभिः) दश अङ्गुलियों और (धेनुभिः) दोहनेवाली गौओं के सदृश वाणियों से (मम) मेरे (इमम्) इस (इन्द्रम्) ऐश्वर्य्य को (क्रीणाति) खरीदता है (यदा) जब जो (वृत्राणि) धनों को (जङ्घनत्) अत्यन्त प्राप्त होता है (अथ) अनन्तर (एनम्) इसको (मे) मेरे लिये (पुनः) फिर (ददत्) देता है, तभी ऐश्वर्य्य बढ़े ॥१०॥
भावार्थभाषाः - कौन ऐश्वर्य्य को बढ़ा सके इस प्रश्न का, जो सब प्रकार पुरुषार्थयुक्त, उत्तम प्रकार शिक्षित वाणी से युक्त है, यह उत्तर है, क्योंकि जो आदि में ऐश्वर्य्य को प्राप्त होवे, वही औरों को देने को योग्य होवे ॥१०॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे मनुष्याः ! को दशभिर्धेनुभिर्ममेममिन्द्रं क्रीणाति यदा यो वृत्राणि जङ्घनदथैनं [मे] पुनर्ददत् तदैश्वर्य्यं वर्धेत ॥१०॥

पदार्थान्वयभाषाः - (कः) (इमम्) (दशभिः) अङ्गुलिभिः (मम) (इन्द्रम्) ऐश्वर्यम् (क्रीणाति) (धेनुभिः) दोग्ध्रीभिर्गोभिरिव वाग्भिः (यदा) (वृत्राणि) धनानि (जङ्घनत्) भृशं हन्ति प्राप्नोति (अथ) (एनम्) (मे) मह्यम् (पुनः) (ददत्) ददाति ॥१०॥
भावार्थभाषाः - क ऐश्वर्यं वर्द्धितुं शक्नुयादिति प्रश्नस्य, यः सर्वथा पुरुषार्थी सुशिक्षितया वाचा युक्तश्चेति कुतो य आदावैश्वर्य्यं प्राप्नुयात् स एवान्येभ्यो दातुमर्हेत् ॥१०॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - कोण ऐश्वर्य वाढवू शकतो? या प्रश्नाचे उत्तर असे की, जो सर्व प्रकारच्या पुरुषार्थाने युक्त सुसंस्कृत वाणीने युक्त असतो. कारण जो प्रथम ऐश्वर्य (वाणीचे) प्राप्त करतो तो इतरांना देऊ शकतो. ॥ १० ॥