वांछित मन्त्र चुनें

वि॒श्वामि॑त्रा अरासत॒ ब्रह्मेन्द्रा॑य व॒ज्रिणे॑। कर॒दिन्नः॑ सु॒राध॑सः॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

viśvāmitrā arāsata brahmendrāya vajriṇe | karad in naḥ surādhasaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

वि॒श्वामि॑त्राः। अ॒रा॒स॒त॒। ब्रह्म॑। इन्द्रा॑य। व॒ज्रिणे॑। कर॑त्। इत्। नः॒। सु॒ऽराध॑सः॥

ऋग्वेद » मण्डल:3» सूक्त:53» मन्त्र:13 | अष्टक:3» अध्याय:3» वर्ग:21» मन्त्र:3 | मण्डल:3» अनुवाक:4» मन्त्र:13


बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब प्रजा के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (विश्वामित्राः) सबके मित्रो ! आप लोग जो (नः) हम लोगों को (सुराधसः) उत्तम धन से युक्त (करत्) करे उस (इत्) ही (वज्रिणे) धनुर्वेद के जाननेवाले (इन्द्राय) राजा के लिये (ब्रह्म) धन की (अरासत) वृद्धि करें ॥१३॥
भावार्थभाषाः - जो राजा संपूर्ण प्रजाओं को सुखयुक्त करे, उस ही को प्रजा अत्यन्त ऐश्वर्य्य से युक्त करें ॥१३॥
बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ प्रजाविषयमाह।

अन्वय:

हे विश्वामित्रा ! भवन्तो यो नः सुराधसः करत्तस्मै इद्वज्रिण इन्द्राय ब्रह्मारासत ॥१३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (विश्वामित्राः) सर्वस्य सुहृदः (अरासत) रासन्ताम् (ब्रह्म) धनम् (इन्द्राय) राज्ञे (वज्रिणे) धनुर्वेदविदे (करत्) कुर्य्यात् (इत्) एव (नः) अस्मान् (सुराधसः) उत्तमधनयुक्तान् ॥१३॥
भावार्थभाषाः - यो राजा सर्वाः प्रजाः सुखसम्पन्नाः कुर्य्यात्तमेव प्रजाः परमैश्वर्य्ययुक्तं कुर्य्युः ॥१३॥
बार पढ़ा गया

माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जो राजा संपूर्ण प्रजेला सुखी करतो त्यालाच प्रजेने ऐश्वर्ययुक्त बनवावे. ॥ १३ ॥