अ॒र्वा॒वतो॑ न॒ आ ग॒ह्यथो॑ शक्र परा॒वतः॑। उ॒ लो॒को यस्ते॑ अद्रिव॒ इन्द्रे॒ह तत॒ आ ग॑हि॥
arvāvato na ā gahy atho śakra parāvataḥ | u loko yas te adriva indreha tata ā gahi ||
अ॒र्वा॒ऽवतः॑। नः॒। आ। ग॒हि॒। अथो॒ इति॑। श॒क्र॒। प॒रा॒ऽवतः॑। ऊँ॒ इति॑। लो॒कः। यः। ते॒। अ॒द्रि॒ऽवः॒। इन्द्र॑। इ॒ह। ततः॑। आ। ग॒हि॒॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अब राजा और प्रजाविषय को परस्पर सम्बन्ध से कहते हैं।
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अथ राजप्रजाजनविषयं परस्परेणाह।
हे अद्रिवः शक्रेन्द्र इह यस्ते लोकोऽस्ति तस्मादर्वावतो न आगह्यथो परावतो न आगहि तत उ अन्यत्र गच्छ ॥११॥