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इ॒मं स्व॑स्मै हृ॒द आ सुत॑ष्टं॒ मन्त्रं॑ वोचेम कु॒विद॑स्य॒ वेद॑त्। अ॒पां नपा॑दसु॒र्य॑स्य म॒ह्ना विश्वा॑न्य॒र्यो भुव॑ना जजान॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

imaṁ sv asmai hṛda ā sutaṣṭam mantraṁ vocema kuvid asya vedat | apāṁ napād asuryasya mahnā viśvāny aryo bhuvanā jajāna ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

इ॒मम्। सु। अ॒स्मै॒। हृ॒दः। आ। सुऽत॑ष्टम्। मन्त्र॑म्। वो॒चे॒म॒। कु॒वित्। अ॒स्य॒। वेद॑त्। अ॒पाम्। नपा॑त्। अ॒सु॒र्य॑स्य। म॒ह्ना। विश्वा॑नि। अ॒र्यः। भुव॑ना। ज॒जा॒न॒॥

ऋग्वेद » मण्डल:2» सूक्त:35» मन्त्र:2 | अष्टक:2» अध्याय:7» वर्ग:22» मन्त्र:2 | मण्डल:2» अनुवाक:4» मन्त्र:2


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब ईश्वरस्तुति का विषय अगले मन्त्र में कहा है।

पदार्थान्वयभाषाः - जो (नपात्) अविनाशी (अर्य्यः) सर्वस्वामी ईश्वर (मह्ना) अपने महत्त्व से (विश्वानि) समस्त (भुवना) लोक-लोकान्तरों को (जजान) उत्पन्न करता है वा जो (अपाम्) जलों के बीच (कुवित्) बहुत व्यवहार को (वेदत्) जाने वा (अस्य) इस (असुर्यस्य) मेघ के बीच उत्पन्न हुए व्यवहार का प्रबन्ध करता है उस (हृदः) हृदय के समीप स्थित (अस्मै) इस ईश्वर के लिये (इमम्) इस (सुतष्टम्) सुन्दर सुख के सिद्ध करनेवाले व्यवहार वा (मन्त्रम्) विचार को हम लोग (सुवोचेम) अच्छे प्रकार कहें ॥२॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जिस जगदीश्वर ने समग्र जगत् बनाया, उसी की स्तुति-प्रार्थना वा उपासना करो ॥२॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथेश्वरस्तुतिविषयमाह।

अन्वय:

यो नपादर्यो मह्ना विश्वानि भुवना जजान अपां कुविद्वेददस्यासुर्यस्य मेघस्य प्रबन्धं करोति तस्मै हृदोऽस्मै इमं सुतष्टं मन्त्रं वा सुवोचेम ॥२॥

पदार्थान्वयभाषाः - (इमम्) (सु) (अस्मै) (हृदः) हृदयस्य समीपे स्थितम् (आ) (सुतष्टम्) सुष्ठु सुखस्य निर्वर्त्तकम् (मन्त्रम्) विचारम् (वोचेम) (कुवित्) बहुः (अस्य) (वेदत्) विद्यात् (अपाम्) जलानां मध्ये (नपात्) अविनाशी (असुर्यस्य) मेघे भवस्य (मह्ना) महत्वेन (विश्वानि) सर्वाणि (अर्य्यः) सर्वस्वामीश्वरः (भुवना) लोकान् (जजान) प्रादुर्भावयति। अत्र व्यत्ययेन परस्मैपदम् ॥२॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्या येन जगदीश्वरेण समग्रं जगन्निर्मितं तस्यैव स्तुतिप्रार्थनोपासनाः कुरुत ॥२॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो! ज्या जगदीश्वराने संपूर्ण जग बनविलेले आहे त्याचीच स्तुती, प्रार्थना, उपासना करा. ॥ २ ॥