पदार्थान्वयभाषाः - (सः) वह राजा (इषुहस्तैः) इषुबाण-शस्त्र हाथों में जिसके हैं, ऐसे (सः-निषङ्गिभिः) वह राजा प्रशस्त बाण तलवार, बन्दूक तोप और तोमर आदि शस्त्रों से युक्त सैनिकों के साथ (वशी) शत्रु के बल का वश करनेवाला (संस्रष्टा) युद्ध में संघर्ष करनेवाला (सः) वह राजा (गणेन युधः) शत्रु के सैनिक गण के साथ युद्ध करनेवाला (सोमपाः) सोम ओषधिरस का पीनेवाला, न कि सुरापान करनेवाला (बाहुशर्धी) बाहुबलयुक्त (उग्रधन्वा) प्रहारक धनुष-शस्त्रवाला (प्रतिहिताभिः) प्रेरित इषुओं बाणों से (अस्ता) शत्रुओं को नीचे फेंकनेवाला गिरानेवाला विचलित करनेवाला (संसृष्टजित्) सम्पर्क में आनेवाले शत्रुओं को जीतनेवाला होता है ॥३॥
भावार्थभाषाः - राजा ऐसा होना चाहिये, जो विविध शस्त्रास्त्रों से युक्त सैनिकों के द्वारा शत्रु के बल का वश करनेवाला, संग्राम में लड़नेवाला, शत्रु के सैनिक गण से झूझनेवाला, बाहुबल से युक्त, स्वयं उग्र शस्त्रधारी, शस्त्रों को फेंककर शत्रु को विचलित करनेवाला, सम्पर्क में आये शत्रुओं को जीतनेवाला, सोम आदि ओषधियों के सात्त्विक रसादि का सेवन करनेवाला हो ॥३॥