ऋ॒चो अ॒क्षरे॑ पर॒मे व्यो॑म॒न्यस्मि॑न्दे॒वा अधि॒ विश्वे॑ निषे॒दुः। यस्तन्न वेद॒ किमृ॒चा क॑रिष्यति॒ य इत्तद्वि॒दुस्त इ॒मे समा॑सते ॥
ṛco akṣare parame vyoman yasmin devā adhi viśve niṣeduḥ | yas tan na veda kim ṛcā kariṣyati ya it tad vidus ta ime sam āsate ||
ऋ॒चः। अ॒क्षरे॑। प॒र॒मे। विऽओ॑मन्। यस्मि॑न्। दे॒वाः। अधि॑। विश्वे॑। नि॒ऽसे॒दुः। यः। तत्। न। वेद॑। किम्। ऋ॒चा। क॒रि॒ष्य॒ति॒। ये। इत्। तत्। वि॒दुः। ते। इ॒मे। सम्। आ॒स॒ते॒ ॥ १.१६४.३९
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर ईश्वर के विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनरीश्वरविषयमाह ।
यस्मिन्नृचः सकाशात्प्रतिपादितेऽक्षरे परमे व्योमन्परमेश्वरे विश्वे देवा अधि निषेदुः। यस्तन्न वेद स ऋचा वेदेन किं करिष्यति ये तद्विदुस्त इमे इदेव ब्रह्मणि समासते ॥ ३९ ॥