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अ॒श्विनो॑रसनं॒ रथ॑मन॒श्वं वा॒जिनी॑वतोः। तेना॒हं भूरि॑ चाकन ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

aśvinor asanaṁ ratham anaśvaṁ vājinīvatoḥ | tenāham bhūri cākana ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒श्विनोः॑। अ॒स॒न॒म्। रथ॑म्। अ॒न॒श्वम्। वा॒जिनी॑ऽवतोः। तेन॑। अ॒हम्। भूरि॑। चा॒क॒न॒ ॥ १.१२०.१०

ऋग्वेद » मण्डल:1» सूक्त:120» मन्त्र:10 | अष्टक:1» अध्याय:8» वर्ग:23» मन्त्र:5 | मण्डल:1» अनुवाक:17» मन्त्र:10


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

पदार्थान्वयभाषाः - (अहम्) मैं (वाजिनीवतोः) जिनके प्रशंसित विज्ञानयुक्त सभा और सेना विद्यमान हैं उन (अश्विनोः) सभासेनाधीशों के (अनश्वम्) अनश्व अर्थात् जिसमें घोड़ा आदि नहीं लगते (रथम्) उस रमण करने योग्य विमानादि यान का (असनम्) सेवन करूँ और (तेन) उससे (भूरि) बहुत (चाकन) प्रकाशित होऊँ ॥ १० ॥
भावार्थभाषाः - जो भूमि, जल और अन्तरिक्ष में चलने के विमान आदि यान बनाये जाते हैं, उनमें पशु नहीं जोड़े जाते किन्तु वे पानी और अग्नि के कलायन्त्रों से चलते हैं ॥ १० ॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ।

अन्वय:

अहं वाजिनीवतोरश्विनोर्यमश्वं रथमसनं तेन भूरि चाकन ॥ १० ॥

पदार्थान्वयभाषाः - (अश्विनोः) सभासेनेशयोः (असनम्) संभजेयम् (रथम्) रमणीयं विमानादियानम् (अनश्वम्) अविद्यामानतुरङ्गम् (वाजिनीवतोः) प्रशस्ता विज्ञानादियुक्ता सभा सेना च विद्यते ययोस्तयोः (तेन) (अहम्) (भूरि) बहु (चाकन) प्रकाशितो भवेयम्। तुजादित्वादभ्यासदीर्घः ॥ १० ॥
भावार्थभाषाः - यानि भूजलान्तरिक्षगमनार्यानि यानानि निर्मितानि भवन्ति तत्र पशवो नो युज्यन्ते किन्तु तानि जलाग्निकलायन्त्रादिभिरेव चलन्ति ॥ १० ॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - भूमी, जल व अंतरिक्षात चालणारी विमान इत्यादी याने तयार केली जातात. त्यात पशू जोडले जात नाहीत; परंतु ते पाणी व अग्नीच्या कलायंत्रांनी चालतात. ॥ १० ॥