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अ॒स्येदिन्द्रो॑ वावृधे॒ वृष्ण्य॒ꣳ शवो॒ मदे॑ सु॒तस्य॒ विष्ण॑वि। अ॒द्या तम॑स्य महि॒मान॑मा॒यवोऽनु॑ ष्टुवन्ति पू॒र्वथा॑। इ॒मा उ त्वा। यस्या॒यम्। अ॒यꣳ स॒हस्र॑म्। ऊ॒र्ध्वऽऊ॒ षु णः॑ ॥९७ ॥

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Pad Path

अ॒स्य। इत्। इन्द्रः॑। वा॒वृ॒धे॒। व॒वृ॒ध॒ऽइति॑ ववृधे। वृष्ण्य॑म्। शवः॑। मदे॑। सु॒तस्य॑। विष्ण॑वि ॥ अ॒द्य। तम्। अ॒स्य॒ म॒हि॒मान॑म्। आ॒यवः॑। अनु॑। स्तु॒व॒न्ति॒। पू॒र्वथेति॑ पू॒र्वऽथा॑ ॥९७ ॥

Yajurveda » Adhyay:33» Mantra:97