भायै॑ दार्वा॒हारं प्र॒भाया॑ऽअग्न्ये॒धं ब्र॒ध्नस्य॑ वि॒ष्टपा॑याभिषे॒क्तारं॒ वर्षिष्ठाय॒ नाका॑य परिवे॒ष्टारं॑ देवलो॒काय॑ पेशि॒तारं॑ मनुष्यलो॒काय॑ प्रकरि॒तार॒ꣳ सर्वे॑भ्यो लो॒केभ्य॑ऽउपसे॒क्तार॒मव॑ऽऋत्यै व॒धायो॑पमन्थि॒तारं॒ मेधा॑य वासः पल्पू॒लीं प्र॑का॒माय॑ रजयि॒त्रीम् ॥१२ ॥
भायै॑। दा॒र्वा॒हा॒रमिति॑ दारुऽआहा॒रम्। प्र॒भाया॒ इति॑ प्र॒ऽभायै॑। अ॒ग्न्ये॒धमित्य॑ग्निऽए॒धम्। ब्र॒ध्नस्य॑। वि॒ष्टपा॑य। अ॒भि॒षे॒क्तार॑म्। अ॒भि॒से॒क्तार॒मित्य॑भिऽसे॒क्तार॑म्। वर्षि॑ष्ठाय। नाका॑य। प॒रि॒वे॒ष्टार॒मिति॑ परिऽवे॒ष्टार॑म्। दे॒व॒लो॒कायेति॑ देवऽलो॒काय॑। पेशि॒तार॑म्। म॒नु॒ष्य॒लो॒कायेति॑ मनुष्यऽलो॒काय॑। प्र॒क॒रि॒तार॒मिति॑ प्रऽकरि॒तार॑म्। सर्वे॑भ्यः। लो॒केभ्यः॑। उ॒प॒से॒क्तार॒मित्यु॑पऽसे॒क्ता॑रम्। अव॑ऽऋत्या॒ इत्यव॑ऽऋत्यै। व॒धाय॑। उ॒प॒म॒न्थि॒तार॒मित्यु॑पऽमन्थि॒ता॑रम्। मेधा॑य। वा॒सः॒प॒ल्पू॒लीमिति॑ वासःऽपल्पू॒लीम्। प्र॒का॒मायेति॑ प्रऽका॒माय॑। र॒ज॒यि॒त्रीम् ॥१२ ॥