Go To Mantra

इ॒न्द्रा॒ग्न्योः प॑क्ष॒तिः सर॑स्वत्यै॒ निप॑क्षतिर्मि॒त्रस्य॑ तृ॒तीया॒ऽपां च॑तु॒र्थी निर्ऋ॑त्यै पञ्च॒म्य᳕ग्नीषोम॑योः ष॒ष्ठी स॒र्पाणा॑ सप्त॒मी विष्णो॑रष्ट॒मी पू॒ष्णो न॑व॒मी त्वष्टु॑र्दश॒मीन्द्र॑स्यैकाद॒शी वरु॑णस्य द्वाद॒शी य॒म्यै त्र॑योद॒शी द्यावा॑पृथि॒व्योर्दक्षि॑णं पा॒र्श्वं विश्वे॑षां दे॒वाना॒मुत्त॑रम् ॥५ ॥

Mantra Audio
Pad Path

इ॒न्द्रा॒ग्न्योः। प॒क्ष॒तिः। सर॑स्वत्यै। निप॑क्षति॒रि॒ति॒ निऽप॑क्षतिः। मि॒त्रस्य॑। तृ॒तीया॑। अ॒पाम्। च॒तु॒र्थी। निर्ऋ॑त्या॒ऽइति॒ निःऽऋ॑त्यै। प॒ञ्च॒मी। अ॒ग्नीषोम॑योः। ष॒ष्ठी। स॒र्पाणा॑म्। स॒प्त॒मी। विष्णोः॑। अ॒ष्ट॒मी। पू॒ष्णः। न॒व॒मी। त्वष्टुः॑। द॒श॒मी। इन्द्र॑स्य। ए॒का॒द॒शी। वरु॑णस्य। द्वा॒द॒शी। य॒म्यै। त्र॒यो॒द॒शीति॑ त्रयःऽद॒शी। द्यावा॑पृथि॒व्योः। दक्षि॑णम्। पा॒र्श्वम्। विश्वे॑षाम्। दे॒वाना॑म्। उत्त॑रम् ॥५ ॥

Yajurveda » Adhyay:25» Mantra:5