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ऊ॒र्ध्वमे॑न॒मुच्छ्र॑यताद् गि॒रौ भा॒रꣳ हर॑न्निव। अथा॑स्य॒ मध्य॑मेजतु शी॒ते वाते॑ पु॒नन्नि॑व ॥२७ ॥

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Pad Path

ऊ॒र्ध्वम्। ए॒न॒म्। उत्। श्र॒य॒ता॒त्। गि॒रौ। भा॒रम्। हर॑न्नि॒वेति॒ हर॑न्ऽइव। अथ॑। अ॒स्य॒। मध्य॑म्। ए॒ज॒तु॒। शी॒ते। वात॑ पु॒नन्नि॒वेति॑ पु॒नन्ऽइ॑व ॥२७ ॥

Yajurveda » Adhyay:23» Mantra:27