Go To Mantra

ऊ॒र्ध्वामारो॑ह प॒ङ्क्तिस्त्वा॑वतु शाक्वररैव॒ते साम॑नी त्रिणवत्रयस्त्रि॒ꣳशौ स्तोमौ॑ हेमन्तशिशि॒रावृ॒तू वर्चो॒ द्रवि॑णं॒ प्रत्य॑स्तं॒ नमु॑चेः॒ शिरः॑ ॥१४॥

Mantra Audio
Pad Path

ऊ॒र्ध्वाम्। आ। रो॒ह॒। प॒ङ्क्तिः। त्वा॒। अ॒व॒तु॒। शा॒क्व॒र॒रै॒वतेऽइति॑ शाक्वररै॒वते। साम॑नी॒ऽइति॑ सामनी। त्रि॒ण॒व॒त्र॒य॒स्त्रिꣳशौ। त्रि॒न॒व॒त्र॒य॒स्त्रि॒ꣳशाविति॑ त्रिनवऽत्रयस्त्रि॒ꣳशौ। स्तोमौ॑। हे॒म॒न्त॒शि॒शि॒रौ। ऋ॒तूऽइत्यृ॒तू। वर्चः॑। द्रवि॑णम्। प्रत्य॑स्त॒मिति॒ प्रति॑ऽअस्तम्। नमु॑चेः। शिरः॑ ॥१४॥

Yajurveda » Adhyay:10» Mantra:14