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जु॒ष्ट्वी न॑ इन्दो सु॒पथा॑ सु॒गान्यु॒रौ प॑वस्व॒ वरि॑वांसि कृ॒ण्वन् । घ॒नेव॒ विष्व॑ग्दुरि॒तानि॑ वि॒घ्नन्नधि॒ ष्णुना॑ धन्व॒ सानो॒ अव्ये॑ ॥

English Transliteration

juṣṭvī na indo supathā sugāny urau pavasva varivāṁsi kṛṇvan | ghaneva viṣvag duritāni vighnann adhi ṣṇunā dhanva sāno avye ||

Pad Path

जु॒ष्ट्वी । नः॒ । इ॒न्दो॒ इति॑ । सु॒ऽपथा॑ । सु॒ऽगानि॑ । उ॒रौ । प॒व॒स्व॒ । वरि॑वांसि । कृ॒ण्वन् । घ॒नाऽइ॑व । विष्व॑क् । दुः॒ऽइ॒तानि॑ । वि॒ऽघ्नन् । अधि॑ । स्नुना॑ । ध॒न्व॒ । सानौ॑ । अव्ये॑ ॥ ९.९७.१६

Rigveda » Mandal:9» Sukta:97» Mantra:16 | Ashtak:7» Adhyay:4» Varga:14» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:6» Mantra:16


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे स्वप्रकाश परमात्मन् ! आप (वरिवांसि) धनों का प्रदान (कृण्वन्) करते हुए (नः) हमारी (पवस्व) रक्षा करें और (जुष्ट्वी) हमारी प्रार्थनाओं से प्रसन्न हुए आप (सुपथा) सुन्दर मार्ग और (सुगानि) सरल वैदिक धर्म्म के रास्तों का उपदेश करें। (उरौ) विस्तीर्ण (सानौ, अव्ये) रक्षा के पथ में (विष्वग्दुरितानि) विषम से विषम पापों को (घना इव) बादलों के समान (विघ्नन्) नाश करते हुए (स्नुना) अपनी आनन्दमय धाराओं से (अधिधन्व) प्राप्त हों ॥१६॥
Connotation: - जो लोग परमात्मा का प्रीति से सेवन करते हैं अर्थात् सर्वोपरि प्रिय एकमात्र परमात्मा ही जिनको प्रतीत होता है, वे कर्मयोगी तथा ज्ञानयोगी होकर इस संसार में स्वतन्त्रतापूर्वक विचरते हैं ॥१६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे प्रकाशस्वरूपपरमात्मन् ! भवान् (वरिवांसि) धनानि (कृण्वन्) अस्मासु सञ्चिन्वन् (नः, पवस्व) अस्मान् रक्षतु (जुष्ट्वी) मत्प्रार्थनाभिः प्रसन्नो भवान् (सुपथा, सुगानि) सुखगम्यानां वैदिकधर्ममार्गाणामुपदेष्टा भवतु (उरौ) विस्तीर्णे (सानौ, अव्ये) रक्षणपथे (विष्वक् दुरितानि) विषमादपि विषमं पापं (घना इव) मेघानिव (विघ्नन्) नाशयन् (स्नुना) स्वीयानन्दमयधाराभिः (अधि, धन्व) प्राप्नोतु ॥१६॥