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परि॑ प्रि॒यः क॒लशे॑ दे॒ववा॑त॒ इन्द्रा॑य॒ सोमो॒ रण्यो॒ मदा॑य । स॒हस्र॑धारः श॒तवा॑ज॒ इन्दु॑र्वा॒जी न सप्ति॒: सम॑ना जिगाति ॥

English Transliteration

pari priyaḥ kalaśe devavāta indrāya somo raṇyo madāya | sahasradhāraḥ śatavāja indur vājī na saptiḥ samanā jigāti ||

Pad Path

परि॑ । प्रि॒यः । क॒लशे॑ । दे॒वऽवा॑तः । इन्द्रा॑य । सोमः॑ । रण्यः॑ । मदा॑य । स॒हस्र॑ऽधारः । श॒तऽवा॑जः । इन्दुः॑ । वा॒जी । न । सप्तिः॑ । सम॑ना । जि॒गा॒ति॒ ॥ ९.९६.९

Rigveda » Mandal:9» Sukta:96» Mantra:9 | Ashtak:7» Adhyay:4» Varga:7» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:5» Mantra:9


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (प्रियः) सर्वप्रिय परमात्मा (देववातः) जो विद्वानों से सुगम है, वह (सोमः) सर्वोत्पादक (रण्यः) रमणीक (इन्द्राय मदाय) कर्मयोगी के आह्लाद के लिये (सहस्रधारः) जो अनन्त प्रकार की शक्ति से सम्पन्न और (शतवाजः) अनन्तप्रकार के बल से सम्पन्न है, वह (इन्दुः) परमैश्वर्य्यशाली (सप्तिर्न) विद्युत् की शक्ति के समान (वाजी) बलरूप परमात्मा (समना, परिजिगाति) आध्यात्मिक यज्ञों में (कलशे) “कलाः शेरते अस्मिन् इति कलशम्” नि. ।१।१२ अन्तःकरण में, जिसमें परमात्मा अपनी कलाओं के द्वारा विराजमान हो, उसका नाम यहाँ कलश है, विद्वानों के अन्तःकरण में आकर उपस्थित होता है ॥९॥
Connotation: - जो लोग ब्रह्मविद्या द्वारा परमात्मा के तत्त्व का चिन्तन करते हैं, परमात्मा अवश्यमेव उनके ज्ञान का विषय होता है ॥९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (प्रियः) सर्वप्रियः परमात्मा (देववातः) विदुषां सुगमः (सोमः) सर्वोत्पादकः (रण्यः) रम्यः (इन्द्राय, मदाय) कर्मयोग्याह्लादाय (सहस्रधारः) अनन्तशक्तिसम्पन्नः (शतवाजः) बहुविधबलसम्पन्नः (इन्दुः) परमैश्वर्यसम्पन्नः स (सप्तिः, न) विद्युच्छक्तिरिव (वाजी) बलरूपः (समना, परि, जिगाति) आध्यात्मिकयज्ञेषु (कलशे) विद्वज्जनान्तःकरणे विराजते ॥९॥