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सोम॑: पवते जनि॒ता म॑ती॒नां ज॑नि॒ता दि॒वो ज॑नि॒ता पृ॑थि॒व्याः । ज॒नि॒ताग्नेर्ज॑नि॒ता सूर्य॑स्य जनि॒तेन्द्र॑स्य जनि॒तोत विष्णो॑: ॥

English Transliteration

somaḥ pavate janitā matīnāṁ janitā divo janitā pṛthivyāḥ | janitāgner janitā sūryasya janitendrasya janitota viṣṇoḥ ||

Pad Path

सोमः॑ । प॒व॒ते॒ । ज॒नि॒ता । म॒ती॒नाम् । ज॒नि॒ता । दि॒वः । ज॒नि॒ता । पृ॒थि॒व्याः । ज॒नि॒ता । अ॒ग्नेः । ज॒नि॒ता । सूर्य॑स्य । ज॒नि॒ता । इन्द्र॑स्य । ज॒नि॒ता । उ॒त । विष्णोः॑ ॥ ९.९६.५

Rigveda » Mandal:9» Sukta:96» Mantra:5 | Ashtak:7» Adhyay:4» Varga:6» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:5» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोमः) उक्त सर्वोत्पादक परमात्मा (पवते) सबको पवित्र करता है (जनिता मतीनाम्) और ज्ञानों को उत्पन्न करनेवाला है, (दिवो जनिता) द्युलोक को उत्पन्न करनेवाला है, (पृथिव्या जनिता) पृथिवीलोक का उत्पन्न करनेवाला है, (अग्नेर्जनिता) अग्नि को उत्पन्न करनेवाला है और (सूर्यस्य जनिता) सूर्य्य को उत्पन्न करनेवाला है (उत) और (विष्णोः, जनिता) ज्ञानयोगी को उत्पन्न करनेवाला है, (इन्द्रस्य जनिता) कर्म्मयोगी को उत्पन्न करनेवाला है ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा के सर्वकर्तृत्व का वर्णन किया है ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोमः) सर्वोत्पादकः परमात्मा (पवते) सर्वान् पुनाति (जनिता, मतीनां) ज्ञानानामुत्पादकः (दिवः, जनिता) द्युलोकस्योत्पादकः (पृथिव्याः, जनिता) पृथिव्या उत्पादकः (सूर्यस्य, जनिता) सूर्यस्योत्पादकः (अग्नेः, जनिता) अग्नेरुत्पादकः (उत) अथ च (विष्णोः, जनिता) ज्ञानयोग्युत्पादकः (इन्द्रस्य, जनिता) कर्मयोग्युत्पादकः ॥५॥