प्रप्र॒ क्षया॑य॒ पन्य॑से॒ जना॑य॒ जुष्टो॑ अ॒द्रुहे॑ । वी॒त्य॑र्ष॒ चनि॑ष्ठया ॥
English Transliteration
pra-pra kṣayāya panyase janāya juṣṭo adruhe | vīty arṣa caniṣṭhayā ||
Pad Path
प्रऽप्र॑ । क्षया॑य । पन्य॑से । जना॑य । जुष्टः॑ । अ॒द्रुहे॑ । वी॒ती । अ॒र्ष॒ । चनि॑ष्ठया ॥ ९.९.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:9» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:32» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:2
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (पन्यसे) जो पुरुष कर्मयोगी है तथा (अद्रुहे) जो किसी के साथ द्वेष नहीं करता (जनाय) ऐसे मनुष्य के हृदय में आप (प्र प्र, क्षयाय) अत्यन्त विराजमान होते हैं (च) और (वीती) उसकी तृप्ति के लिये (चनिष्ठया, जुष्टः) ऐश्वर्य की धारा से संयुक्त होकर (अर्ष) ऐश्वर्य देवें ॥२॥
Connotation: - यद्यपि परमात्मा सर्वव्यापक है, तथापि ऐश्वर्य के प्रदाता होकर उन्हीं पुरुषों के हृदय में विराजमान हो रहा है, जो पुरुष कर्मयोगी और रागद्वेष से रहित है, इसलिये पुरुष को चाहिये कि वह राग-द्वेष के भाव से रहित होकर निष्कामभाव से सदैव कर्मयोग में लगा रहे ॥२॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (पन्यसे) कर्मयोगिणे (अद्रुहे) सर्वस्य हितं कुर्वते च (जनाय) मनुष्याय हितं कर्तुं तद्हृदये भवान् (प्र प्र, क्षयाय) नितान्तं विराजते (च) तथा (वीती) तत्तृप्तये (चनिष्ठया जुष्टः) ऐश्वर्यधारया संयुतः सन् (अर्ष) प्रयच्छैश्वर्यम् ॥२॥