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ए॒ते सोमा॑ अ॒भि ग॒व्या स॒हस्रा॑ म॒हे वाजा॑या॒मृता॑य॒ श्रवां॑सि । प॒वित्रे॑भि॒: पव॑माना असृग्रञ्छ्रव॒स्यवो॒ न पृ॑त॒नाजो॒ अत्या॑: ॥

English Transliteration

ete somā abhi gavyā sahasrā mahe vājāyāmṛtāya śravāṁsi | pavitrebhiḥ pavamānā asṛgrañ chravasyavo na pṛtanājo atyāḥ ||

Pad Path

ए॒ते । सोमाः॑ । अ॒भि । ग॒व्या । स॒हस्रा॑ । म॒हे । वाजा॑य । अ॒मृता॑य । श्रवां॑सि । प॒वित्रे॑भिः । पव॑मानाः । अ॒सृ॒ग्र॒न् । श्र॒व॒स्यवः॑ । न । पृ॒त॒नाजः॑ । अत्याः॑ ॥ ९.८७.५

Rigveda » Mandal:9» Sukta:87» Mantra:5 | Ashtak:7» Adhyay:3» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:5» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एते) पूर्वोक्त (सोमाः) परमात्मा के सौम्यस्वभाव (गव्या) गतिशील (सहस्रा) सहस्र शक्तियोंवाले (महे) बड़े (वाजाय, अमृताय) यज्ञ के लिये जो (श्रवांसि) ऐश्वर्यरूप हैं (पवित्रेभिः) पवित्र अन्तःकरणों से जो (पवमानाः) पवित्रतावाले हैं, वे उक्तस्वभावों को (श्रवस्यवः) यश की इच्छा करनेवाले उपासक लोग (पृतनाजः) जो युद्धों में जेता बनने की इच्छा करते हैं, वे (अत्याः न) शीघ्रगामिनी विद्युत् की शक्तियों के समान (अभ्यसृग्रन्) धारण करें ॥५॥
Connotation: - जो लोग संसार में विजेता बनना चाहें, वे परमात्मा के विचित्र भावों को धारण करें। जिस प्रकार सत्पुरुष के भावों को धारण करने से पुरुष सत्पुरुष बन सकता है, इसी प्रकार उस आदिपुरुष परमात्मा के गुणों के धारण करने से उपासक सत्पुरुष महापुरुष बन सकता है, इसका नाम परमात्मयोग है ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एते) पूर्वोक्ताः (सोमाः) परमात्मनः सौम्यस्वभावाः (गव्या) गतिशीलाय (सहस्रा) सहस्रशक्तिमते (महे) महते (वाजाय, अमृताय) यज्ञाय (श्रवांसि) ये ऐश्वर्य्यरूपाः (पवित्रेभिः) पूतान्तःकरणैः ये (पवमानाः) पावकाश्च सन्ति, उक्तस्वभावानां (श्रवस्यवः) यशस इच्छव उपासकाः (पृतनाजः) ये युद्धेषु जयमिच्छन्ति ते (अत्याः, न) शीघ्रगामिन्या विद्युतः शक्तय इव (अभि, असृग्रन्) दधतु ॥५॥