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अरू॑रुचदु॒षस॒: पृश्नि॑रग्रि॒य उ॒क्षा बि॑भर्ति॒ भुव॑नानि वाज॒युः । मा॒या॒विनो॑ ममिरे अस्य मा॒यया॑ नृ॒चक्ष॑सः पि॒तरो॒ गर्भ॒मा द॑धुः ॥

English Transliteration

arūrucad uṣasaḥ pṛśnir agriya ukṣā bibharti bhuvanāni vājayuḥ | māyāvino mamire asya māyayā nṛcakṣasaḥ pitaro garbham ā dadhuḥ ||

Pad Path

अरू॑रुचत् । उ॒षसः॑ । पृश्निः॑ । अ॒ग्रि॒यः । उ॒क्षा । बि॒भ॒र्ति॒ । भुव॑नानि । वा॒ज॒ऽयुः । मा॒या॒ऽविनः॑ । म॒मि॒रे॒ । अ॒स्य॒ । मा॒यया॑ । नृ॒ऽचक्ष॑सः । पि॒तरः॑ । गर्भ॑म् । आ । द॒धुः॒ ॥ ९.८३.३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:83» Mantra:3 | Ashtak:7» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:4» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - पूर्वोक्त परमात्मा (उषसः) सूर्य्य के प्रभामण्डल को (अरूरुचत्) प्रकाश करता है और (पृश्निः) प्रलयकाल में जो सबको भक्षण करे, उसका नाम पृष्णि है। (उक्षा) जो इस सम्पूर्ण संसार को अपने प्रेमवारि से सिञ्चित करे, उस महान् पुरुष का नाम उक्षा है (भुवनानि, बिभर्ति) वह सब भुवनों का भरण-पोषण करता है। (वाजयुः) सब बलों का आधार है। (अस्य, मायया) उसकी शक्ति से (मायाविनो ममिरे) मायावी लोक मर जाते हैं। (नृचक्षसः) वह सर्वज्ञ (पितरः) सबको उत्पन्न करनेवाला (गर्भं) इस संसाररूपी गर्भ को (आदधुः) धारण करता है ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा के स्वरूप का वर्णन है कि वह प्रकाशस्वरूप है और लोक-लोकान्तरों का अधिष्ठान है। सब बलों का केन्द्र है और सब मायावियों की माया को मर्दन करनेवाला है। तात्पर्य यह है कि उसी पूर्ण पुरुष की उपासना से पुरुष तपस्वी बन सकता है ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - पूर्वोक्तपरमात्मा (उषसः) रवेः प्रभामण्डलं (अरूरुचत्) प्रकाशयते। अथ च प्राश्नुते सर्वमिति (पृश्निः) प्रलयकारकः (उक्षा) उक्षतिती उक्षा इति महन्नामसु पठितम्। नि. ३।१३।३। महान् परमेश्वरः (भुवनानि) सर्वान् लोकान् (बिभर्ति) पुष्णाति। तथा स जगदीश्वरः (वाजयुः) सकलबलाधारोऽस्ति। (अस्य) अमुष्य परमात्मनः (मायया) शक्त्या (मायाविनो ममिरे) मायाविनो म्रियन्ते। (नृचक्षसः) स सर्वज्ञ ईश्वरः (पितरः) सर्वोत्पादकाः (गर्भम्) संसाररूपगर्भमिमं (आदधुः) दधाति ॥३॥