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पव॑मान ऋ॒तं बृ॒हच्छु॒क्रं ज्योति॑रजीजनत् । कृ॒ष्णा तमां॑सि॒ जङ्घ॑नत् ॥

English Transliteration

pavamāna ṛtam bṛhac chukraṁ jyotir ajījanat | kṛṣṇā tamāṁsi jaṅghanat ||

Pad Path

पव॑मानः । ऋ॒तम् । बृ॒हत् । शु॒क्रम् । ज्योतिः॑ । अ॒जी॒ज॒न॒त् । कृ॒ष्णा । तमां॑सि । जङ्घ॑नत् ॥ ९.६६.२४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:66» Mantra:24 | Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:11» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:24


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - तब (पवमानः) सबको पवित्र करनेवाला परमात्मा (बृहत्) बड़े (शुक्रम्) बलस्वरूप (ऋतं ज्योतिः) सत्यरूप प्रकाश को (अजीजनत्) पैदा करता है और (कृष्णा) काले (तमांसि) अन्धकारों को (जङ्घनत्) नाश करता है ॥२४॥
Connotation: - परमात्मा के साक्षात्कार से अज्ञान की निवृत्ति और परमानन्द की प्राप्ति होती है। अथवा यों कहो कि “सता सौम्य तदा सम्पन्नो भवति” उस समय योगी सद्ब्रह्म के साथ सह अवस्थान को प्राप्त होता है। अर्थात् उस समय सद्ब्रह्म से भिन्न और कुछ प्रतीत नहीं होता। इसी अभिप्राय से योगसूत्र में लिखा है कि “ऋतम्भरा तत्र प्रज्ञा” उस समय सद्रूप ब्राह्मी प्रज्ञा हो जाती है। ऋत, सत्य ये पर्यायशब्द हैं ॥२४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - तदा (पवमानः) पवित्रकर्ता जगदीश्वरः (बृहत्) महत् (शुक्रम्) बलरूपं (ऋतं ज्योतिः) सत्यरूपप्रकाशम् (अजीजनत्) उत्पादयति। अथ च (कृष्णा) नीलवर्णानि (तमांसि) तिमिराणि (जङ्घनत्) नाशयति ॥२४॥