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अश्वो॒ न च॑क्रदो॒ वृषा॒ सं गा इ॑न्दो॒ समर्व॑तः । वि नो॑ रा॒ये दुरो॑ वृधि ॥

English Transliteration

aśvo na cakrado vṛṣā saṁ gā indo sam arvataḥ | vi no rāye duro vṛdhi ||

Pad Path

अश्वः॑ । न । च॒क्र॒दः॒ । वृषा॑ । सम् । गाः । इ॒न्दो॒ इति॑ । सम् । अर्व॑तः । वि । नः॒ । रा॒ये । दुरः॑ । वृ॒धि॒ ॥ ९.६४.३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:64» Mantra:3 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:36» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! आप (अश्वो न) विद्युत् के समान (सं चक्रदः) शब्दों के देनेवाले हैं और (इन्दो) हे परमेश्वर ! आप (गाः) ज्ञानेन्द्रियों के (समर्वतः) और कर्मेन्द्रियों के (दुरः) द्वारों को (राये) ऐश्वर्यार्थ (नः) हमारे लिये (विवृधि) खोल दें ॥३॥
Connotation: - परमात्मा जिन पर कृपा करता है, उन पुरुषों की ज्ञानेन्द्रिय तथा कर्मेन्द्रिय की शक्तियों को बढ़ाता है। तात्पर्य यह है कि उद्योगी पुरुष वा यों कहो कि सत्कर्मी पुरुषों की शक्तियों को परमात्मा बढ़ाता है। आलसी और दुराचारियों की नहीं ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे जगदीश्वर ! (वृषा) वर्षको भवान् (अश्वो न) विद्युदिव [सं चक्रदः] शब्दप्रदोऽस्ति। (इन्दो) हे परमैश्वर्यसम्पन्न ! भवान् (गाः) ज्ञानेन्द्रियाणां तथा (समर्वतः) कर्मेन्द्रियाणां (दुरः) द्वाराणि (राये) ऐश्वर्याय (नः) अस्मदर्थं (विवृधि) उत्पाटयतु ॥३॥