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स नो॑ अर्ष प॒वित्र॒ आ मदो॒ यो दे॑व॒वीत॑मः । इन्द॒विन्द्रा॑य पी॒तये॑ ॥

English Transliteration

sa no arṣa pavitra ā mado yo devavītamaḥ | indav indrāya pītaye ||

Pad Path

सः । नः॒ । अ॒र्ष॒ । प॒वित्रे॑ । आ । मदः॑ । यः । दे॒व॒ऽवीत॑मः । इन्दो॒ इति॑ । इन्द्रा॑य । पी॒तये॑ ॥ ९.६४.१२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:64» Mantra:12 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:38» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:12


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे परमैश्वर्ययुक्त परमात्मन् ! (इन्द्राय पीतये) कर्मयोगी के तृप्ति के लिये आप (आ) सब ओर से (मदः) आनन्द की वृष्टि करें। (यः) जो आनन्द (देववीतमः) देवताओं की तृप्ति करनेवाला है और (पवित्रे) पवित्र अन्तःकरणों में जिसका संचार होता है, (सः) उस आनन्द को (नः) हम लोगों को (अर्ष) दीजिये ॥१२॥
Connotation: - परमात्मा का वह आनन्द, जो देवताओं के लिये तृप्तिकारक है अर्थात् जिसके अधिकारी दिव्य गुणवाले सदाचारी पुरुष है, वह आनन्द केवल कर्मयोगी और ज्ञानयोगियों को ही उपलब्ध हो सकता है, अन्यों को नहीं। इसलिये सबको चाहिये कि कर्मयोगी और ज्ञानयोगी बनकर उस आनन्द की प्राप्ति का यत्न करें ॥१२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे विविधगुणसम्पन्न परमात्मन् ! (इन्द्राय पीतये) कर्मयोगिनस्तृप्तये भवान् (आ) समन्तात् (मदः) आमोदस्य वृष्टिं करोतु। (यः) यो ह्यानन्दः (देववीतमः) देवानां तर्पकोऽस्ति। अथ च यस्य (पवित्रे) पवित्रान्तःकरणेषु सञ्चारो भवति (सः) तमानन्दं   (नः) अस्मान् (अर्ष) देहि ॥१२॥