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आ प॑वस्व सह॒स्रिणं॑ र॒यिं सो॑म सु॒वीर्य॑म् । अ॒स्मे श्रवां॑सि धारय ॥

English Transliteration

ā pavasva sahasriṇaṁ rayiṁ soma suvīryam | asme śravāṁsi dhāraya ||

Pad Path

आ । पव॑स्व । स॒ह॒स्रिण॑म् । र॒यिम् । सो॒म॒ । सु॒ऽवीर्य॑म् । अ॒स्मे इति॑ । श्रवां॑सि । धा॒र॒य॒ ॥ ९.६३.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:63» Mantra:1 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:30» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:1


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ARYAMUNI

अब दूसरी तरह से राजधर्म का उपदेश करते हैं।

Word-Meaning: - (सोम) हे जगदीश्वर ! आप (सहस्रिणं स्ववीर्यं) अनन्त प्रकार का बल हमको प्रदान करें (रयिम्) और अनन्त प्रकार का ऐश्वर्य हमको प्रदान करें (अस्मे) हम में (श्रवांसि) सब प्रकार के विज्ञान (धारय) प्रदान करें। (आ पवस्व) सब तरह से पवित्र करें ॥१॥
Connotation: - राजधर्म की पूर्ति के लिये इस मन्त्र में अनेक प्रकार के बलों की परमात्मा से याचना की गई है ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ प्रकारान्तरेण राजधर्म उपदिश्यते।

Word-Meaning: - (सोम) सूते चराचरं जगदिति सोमः हे परमात्मन् ! भवान् (सहस्रिणं स्ववीर्यम्) मह्यं बहुविधबलप्रदानं करोतु। तथा (रयिम्) सर्वविधैश्वर्यं प्रददातु च (अस्मे) अस्मासु (श्रवांसि) अखिलप्रकारकविज्ञानानि (धारय) धारयतु (आ पवस्व) सर्वतः पवित्रयतु च ॥१॥