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तं त्रि॑पृ॒ष्ठे त्रि॑वन्धु॒रे रथे॑ युञ्जन्ति॒ यात॑वे । ऋषी॑णां स॒प्त धी॒तिभि॑: ॥

English Transliteration

taṁ tripṛṣṭhe trivandhure rathe yuñjanti yātave | ṛṣīṇāṁ sapta dhītibhiḥ ||

Pad Path

तम् । त्रि॒ऽपृ॒ष्ठे । त्रि॒ऽब॒न्धु॒रे । रथे॑ । यु॒ञ्ज॒न्ति॒ । यात॑वे । ऋषी॑णाम् । स॒प्त । धी॒तिऽभिः॑ ॥ ९.६२.१७

Rigveda » Mandal:9» Sukta:62» Mantra:17 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:17


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (ऋषीणाम् सप्त धीतिभिः) जो कि ऋषियों अर्थात् विज्ञानी शिल्पियों के द्वारा रचित है तथा सात प्रकार के आकर्षणादि गुणों से संयुक्त है तथा (त्रिपृष्टे) तीन उपवेशन स्थानों से युक्त तथा (त्रिवन्धुरे) तीन जगह ऊँचा नीचा है, (रथे) ऐसे रथ में (तम्) उस सेनापति को (यातवे युञ्जन्ति) यात्रा करने के लिये प्रयुक्त करते हैं ॥१७॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करता है कि हे पुरुषों ! तुम अपने सेनापतिओं के लिये ऐसे यान बनाओ, जो अनन्त प्रकार के आकर्षण-विकर्षणादि गुणों से युक्त हों और जल, स्थल तथा नभमण्डल में सर्वत्रैव अव्याहतगति होकर गमन कर सकें ॥१७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (ऋषीणाम् सप्त धीतिभिः) यो हि ऋषिभिः “विज्ञानिशिल्पिभिरिति यावत्” रचितः सप्तविधकर्म- परिपूर्णः तथा (त्रिपृष्ठे) उपवेशनस्थानत्रययुक्तः (त्रिवन्धुरे) त्रिषु उच्चैः नीचैः वर्तते (रथे) एवम्भूते रथे (तम्) तं सेनापतिं (यातवे युञ्जन्ति) यात्रार्थं प्रयुञ्जन्ति ॥१७॥