Go To Mantra

अर्षा॑ णः सोम॒ शं गवे॑ धु॒क्षस्व॑ पि॒प्युषी॒मिष॑म् । वर्धा॑ समु॒द्रमु॒क्थ्य॑म् ॥

English Transliteration

arṣā ṇaḥ soma śaṁ gave dhukṣasva pipyuṣīm iṣam | vardhā samudram ukthyam ||

Pad Path

अर्ष॑ । नः॒ । सो॒म॒ । शम् । गवे॑ । धु॒क्षस्व॑ । पि॒प्युषी॑म् । इष॑म् । वर्ध॑ । स॒मु॒द्रम् । उ॒क्थ्य॑म् ॥ ९.६१.१५

Rigveda » Mandal:9» Sukta:61» Mantra:15 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:20» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:15


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे कर्मयोगिन् ! आप (नः) हमारी (गवे) वाणी के लिये (शम् अर्ष) सुख को बढ़ाइये (पिप्युषीम् क्षुधस्व) और तृप्ति करने में पर्याप्त अन्नादि पदार्थों को उत्पन्न करिये (समुद्रम् उक्थ्यम् वर्ध) समुद्र के समान अचल ऐश्वर्य को बढ़ाइये ॥१५॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! यदि आप ऐश्वर्य को बढ़ाना चाहते हैं, तो कर्मयोगियों से प्रार्थना करके उद्योगी बनिये ॥१५॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे कर्मयोगिन् ! त्वं (नः) अस्माकं (गवे) वाण्यै (शम् अर्ष) सुखं वर्धय। (पिप्युषीम् इषम् धुक्षस्व) अथ च तृप्तये अन्नादिपदार्थानुत्पादय (समुद्रम् उक्थ्यम् वर्ध) समुद्र इवाचलैश्वर्यान् वर्धय ॥१५॥