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समि॑द्धो वि॒श्वत॒स्पति॒: पव॑मानो॒ वि रा॑जति । प्री॒णन्वृषा॒ कनि॑क्रदत् ॥

English Transliteration

samiddho viśvatas patiḥ pavamāno vi rājati | prīṇan vṛṣā kanikradat ||

Pad Path

सम्ऽइ॑द्धः । वि॒श्वतः॑ । पतिः॑ । पव॑मानः । वि । रा॒ज॒ति॒ । प्री॒णन् । वृषा॑ । कनि॑क्रदत् ॥ ९.५.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:5» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:1


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ARYAMUNI

अब परमात्मा की स्वतःप्रकाशता का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - (समिद्धः) जो सर्वत्र प्रकाशमान है, (विश्वतस्पतिः) सब प्रकार से जो स्वामी है, (पवमानः) पवित्र करनेवाला परमात्मा (विराजति) सर्वत्र विराजमान हो रहा है, (प्रीणन्) वह सबको आनन्द देता हुआ (वृषा) सब कामनाओं का पूरक (कनिक्रदत्) अपने विचित्र भावों से उपदेश करता हुआ हमको पवित्र करे ॥१॥
Connotation: - इस संसार में परमात्मा ही केवल ऐसा पदार्थ है, जो स्वसत्ता से विराजमान है अर्थात् जो परसत्ता की सहायता नहीं चाहता। अन्य प्रकृति तथा जीव परमात्मसत्ता के अधीन होकर रहते हैं, इसी अभिप्राय से परमात्मा को यहाँ समिद्ध कहा गया है अर्थात् स्वप्रकाशरूपता से वर्णन किया गया है ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मनः स्वतःप्रकाशत्वं वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (समिद्धः) यो हि सर्वत्र प्रकाशकः (विश्वतस्पतिः) यश्च सर्वथा पतिरस्ति (पवमानः) पावयिता सः (विराजति) सर्वत्र द्योतते विभूत्या प्रकाशते (प्रीणन्) स एवेश्वरः सर्वजनेषु तृप्तिमुत्पादयन् (वृषा) सर्वकामान् वर्षुकः (कनिक्रदत्) स्वविचित्रभावैरुपदिशन् नः पुनातु ॥१॥